नई दिल्ली। पूरे देश में सभी को निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के आरोपियों को फांसी देने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। ऐसे में आज हम आपको बताएँगे कि मौत से पहले आखिरी घंटे कैसे बिताते हैं कैदी….. दोषी को सजा-ए-मौत का फरमान जारी होते ही उसे फांसी कोठी में शिफ्ट कर दिया जाता है। जिसके बाद शुरू होती है कैदी को फांसी देने की प्रक्रिया।
ऐसी होती है फांसी कोठी
एक छोटा सा कमरा, एक कंबल, पीने के लिए पानी और चारों ओर घना अंधेरा और इस कमरे का नाम होता है फांसी कोठी। जहां सजा-ए-मौत से पहले कैदी को रखा जाता है।
कहां होती है फांसी कोठी?
क्या है डेथ सेल
बता दें कि तिहाड़ जेल में जेल नंबर तीन में जिस बिल्डिंग में फांसी कोठी है, उसी बिल्डिंग में कुल 16 डेथ सेल हैं। डेथ सेल में कैदी को पूरी तरह से अकेला रखा जाता है, उसके साथ कोई एक व्यक्ति भी नहीं रह सकता है। उसे फांसी होने के 24 घंटे में सिर्फ आधे घंटे के लिए बाहर टहलने के लिए निकाला जाता है।
आपको यह जानकार हैरानी होगी कि फांसी देने से पहले जहां पर कैदी को रखा जाता है वहां की रखवाली जेल प्रशासन नहीं करता, बल्कि फांसी कोठी और डेथ सेल की पहरेदारी तमिलनाडु स्पेशल पुलिस करती है। मौत की सजा पाए कैदी पर नजरें रखने के लिए तमिलनाडु पुलिस दो-दो घंटे की शिफ्ट के लिए तैनात रहती है।
इन बातों का रखते हैं खास खयाल
डेथ सेल और फांसी कोठी में रहने वाले कैदी को किसी भी प्रकार के ऐसे कपड़े पहनने को नहीं दिए जाते जिससे वह खुद को नुकसान पहुंचा सके, यहाँ तक कि डेथ सेल के कैदियों को पायजामे का नाड़ा तक पहनने नहीं दिया जाता।
कैसे दी जाती फांसी
किसी भी कैदी को फांसी देने के दौरान कुछ बातों का खास ख्याल रखा जाता है, जिसमें कैदी की सेहत, उसे अलग रखने जैसी तमाम बातें शामिल हैं। जिस समय कैदी को फांसी दी जाती है उस समय जेल के अंदर हर काम रोक दिया जाता है।
हर कैदी अपने सेल और अपने बैरक में होता है।
जेल में किसी भी तरह की गतिविधि नहीं होती है।