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Kushinagar: पीएम मोदी बोले-बुद्ध आज भी भारत के संविधान की हैं प्रेरणा

Kushinagar: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Modi) ने बुधवार को कुशीनगर (kushinagar) को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (International Airport) की सौगात दी है। ये एयरपोर्ट यूपी का तीसरा व सबसे लंबे रनवे वाला एयरपोर्ट है। इसके बाद पीएम मोदी कुशीनगर (kushinagar) के महापरिनिर्वाण स्थल पहुंचे। इस दौरान उन्होंने भगवान बुद्ध के दर्शन किए। साथ ही महापरिनिर्वाण परिसर में लगी प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

By शिव मौर्या 
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Kushinagar: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Modi) ने बुधवार को कुशीनगर (kushinagar) को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (International Airport) की सौगात दी है। ये एयरपोर्ट यूपी का तीसरा व सबसे लंबे रनवे वाला एयरपोर्ट है। इसके बाद पीएम मोदी कुशीनगर (kushinagar) के महापरिनिर्वाण स्थल पहुंचे। इस दौरान उन्होंने भगवान बुद्ध के दर्शन किए। साथ ही महापरिनिर्वाण परिसर में लगी प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

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महापरिनिर्वाण स्थल पहुंचे और दीप प्रज्ज्वलित किया। बौद्ध भिक्षु भदंत एबी ज्ञानेश्वर ने पीएम, सीएम और राज्यपाल को चीवर प्रसाद में दिया। पीएम मोदी (Pm Modi) ने 130 करोड़ देशवासियों की तरफ से चीवर दान किया। इस दौरान पीएम मोदी (Pm Modi) ने कहा कि, हम सभी जानते हैं कि श्रीलंका में बौद्ध धर्म का संदेश, सबसे पहले भारत से सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा ले कर गए थे।

माना जाता है कि आज के ही दिन ‘अर्हत महिंदा’ ने वापस आकर अपने पिता को बताया था कि श्रीलंका ने बुद्ध का संदेश कितनी ऊर्जा से अंगीकार किया है। उन्होंने कहा कि, इस समाचार ने ये विश्वास बढ़ाया था कि बुद्ध का संदेश पूरे विश्व के लिए है, बुद्ध का धम्म मानवता के लिए है।

पीएम मोदी (Pm Modi) ने कहा कि, आज एक और महत्वपूर्ण अवसर है- भगवान बुद्ध के तुषिता स्वर्ग से वापस धरती पर आने का, इसीलिए आश्विन पूर्णिमा को आज हमारे भिक्षुगण अपने तीन महीने का ‘वर्षावास’ भी पूरा करते हैं। आज मुझे भी वर्षावास के उपरांत संघ भिक्षुओं को ‘चीवर दान’ का सौभाग्य मिला है।

पीएम (Pm Modi) ने कहा कि बुद्ध इसीलिए ही वैश्विक हैं क्योंकि बुद्ध अपने भीतर से शुरुआत करने के लिए कहते हैं। भगवान बुद्ध का बुद्धत्व है। पीएम मोदी ने कहा कि, आज जब दुनिया पर्यावरण संरक्षण की बात करती है, क्लाइमेट चेंज की चिंता जाहिर करती है, तो उसके साथ अनेक सवाल उठ खड़े होते हैं। लेकिन, अगर हम बुद्ध के सन्देश को अपना लेते हैं तो ‘किसको करना है’, इसकी जगह ‘क्या करना है’, इसका मार्ग अपने आप दिखने लगता है।

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