लता दीदी अब हम सबके बीच नहीं है। वो ब्रह्म लोक की यात्रा पर निकल पड़ी है। उनकी सांस थमने की खबर सुन कर सरहद पार भी संगीत प्रेमियों की आंखों में आंसू है।
Lata Mangeshkar magical voice : लता दीदी अब हम सबके बीच नहीं है। वो ब्रह्म लोक की यात्रा पर निकल पड़ी है। उनकी सांस थमने की खबर सुन कर सरहद पार भी संगीत प्रेमियों की आंखों में आंसू है। लता जी के स्वर ने 36 भाषाओं में गाने रिकॉर्ड किए थे। दीदी के जाने से न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री भी शोक में डूबी है। क्योंकि उन्होंने तमिल और तेलुगू सिनेमा को भी अपना योगदान दिया है। लता जी ने 1956 में तमिल में संगीत की शुरुआत की थी। उन्होंने फिल्म वाना रथम के 2 गानों को आवाज दी और यहीं से उनका तमिल में डेब्यू था।इस फिल्म का हिंदी वर्जन उड़न खटोला थी जिसमें नौशाद अली ने म्यूजिक दिया था।
एक बार फिर 1987 और 1988 के बीच फिर से अपनी जादूई आवाज के साथ लौटीं। उन्होंने बैक टू बैक दो गाने गाए- आरारो आरारो और वलाई ओसाई । ये दोनों सॉन्ग आनंद और सत्या की फिल्मों में इलियाराजा की धुनों पर सेट थे। लता दीदी भी देश के इस हिस्से यानी दक्षिण में बन रहे लोकप्रिय संगीत से अनजान नहीं थीं।
भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर अब हम सबको छोड़ कर दुनिया से चली गई है। 92 साल की उम्र में लता जी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज चल रहा था। लेकिन पिछले दिनों उनकी तबीयत ज्यादा खराब होने लगी, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। हर कोई अपनी ‘दीदी’ के लिए दुआ कर रहा था, लेकिन अब लता जी नहीं रहीं।