
नई दिल्ली। इस बदलते दौर में लड़कियां लड़कों से एक कदम आगे हैं। दो साल पहले तक सैनिक स्कूलों में सिर्फ लड़कों को दाखिला मिलता था, लेकिन 2017 में बने मिजोरम के छिंगछिप सैनिक स्कूल में पहली बार लड़कियों के लिए 10% सीटें रिजर्व की गईं। 2018 में 6 लड़कियों को दाखिला मिला था। 2019 में आंकड़ा दोगुना हो गया। इन 12 बच्चियों में एक सैन्य अधिकारी की बेटी भी है।
Lieutenant Colonel Ups Rathore Said Girls In Sainik School Are One Step Ahead Of Boys :
मिली जानकारी के मुताबिक सैनिक स्कूल में लड़कियों को दाखिला देना रक्षा मंत्रालय का एक पायलट प्रोजेक्ट था, यह समझने के लिए कि लड़कों के गढ़ में उनका प्रदर्शन कैसा रहता है। यह प्रयोग कामयाब रहा, जिसे देखते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले माह ही ऐलान किया था कि 2021-22 से देश के हर सैनिक स्कूल में लड़कियां भी पढ़ सकेंगी। सैनिक स्कूल में इस साल (2019-20) जिन छह लड़कियों का दाखिला हुआ, उनमें तीन (साइथांग्कुई, वनलालॉमपुई, रेशल लालहुनबाईसाई) मिजोरम से हैं। दो (मुस्कान और खुशबू) बिहार से हैं और एक (नेहा आरएस) केरल से है। 2018 से यहां पढ़ रही जोनुनपुई कहती है- ‘अब हमारी फुटबॉल टीम पूरी है। अब हम लड़कों की टीम से मुकाबला कर सकती हैं।’
सैनिक स्कूल में पढ़ रहीं 11 साल की मुस्कान और खुशबू का कहना है कि ‘हमें सेना में जाना है। देश की रक्षा करनी है और दुश्मनों को मारना है।’ साथ ही लड़कियों को दाखिला देने के पायलट प्रोजेक्ट के नतीजों के बारे में स्कूल के प्रिंसिपल लेफ्टिनेंट कर्नल यूपीएस राठौर ने जानकारी दी कि ‘कैडेट के तौर पर इन लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों से बेहतर रहा है। ट्रेनिंग लड़कों के समान होती है। आगे चलकर ये सभी सेना में जाएंगी। यह स्कूल 212 एकड़ में है। लड़कियों के लिए अलग हॉस्टल और वार्डन हैं। सीसीटीवी से कैंपस की निगरानी की जाती है।’