लखनऊ। दिल्ली में भीषण अग्निकांड से लखनऊ जिला प्रशासन सीख नहीं ले रहा है। लखनऊ में भी 18 हजार दुकानें व दो बड़ी मंडियों पर हादसे का खतरा मंडरा रहा है। इसमें जिला प्रशासन, नगर निगम, लेसा और एलडीए की साफ लापरवाही दिख रही है। बावजूद इसके चौक, अमीनाबाद, यहियागंज, नक्खास, गुरुनानक मार्केट, जनपथ, लवलैन, नाजा, प्रिंस मार्केट, हलवासिया, नाका और चारबाग में 18 हजार से अधिक दुकानें फायर के मानकों के विपरित चल रही हैं।
इन बाजारों में जर्जर तार बदले नहीं जाने के कारण दुकानों पर खतरा मंडरा रहा है। इसको लेकर मार्केट के कारोबारी भी चिंतित हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इसको देख के भी आंखे बंद किये हैं। एक आकंड़े के मताबिक, इन बाजारों में रोज करीब 70 अरब रुपये का कारोबार होता है। इसके साथ ही करीब चार लाख लोगों का इन बाजारों में आना-जाना होता है।
बता दें कि जिम्मेदार अधिकारियों को भी यह सब जानकारी है लेकिन इसे देखकर भी वह खामोश हैं। वहीं अमीनाबाद में आग से निपटने के लिए 2005 में फायर हाइड्रेंट बनाया गया था ताकि किसी प्रकार का हादसा होने पर यहां से पानी लिया जाता। हालांकि, वर्तमान में इसका कोई अता-पता नहीं है। अमीनबाद की ही मुमताज मार्केट में 14 मार्च 2016 को आग लगने के बाद खुलासा हुआ था कि बिल्डिंग मानकों की अनदेखी कर बनवाई गई है। गिरवाने का आदेश होने के बावजूद कार्रवाई तो दूर बिल्डिंग की छत पर 18 और दुकानें बनवा दी गईं।
हादसों के बाद ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं जांच
अग्निकांड के बाद जांच के कई दावे किये जाते हैं लेकिन समय बीतते ही मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाता है। शहर में मानकों को दरकिनार कर चल रही कोचिंगों, अस्पतालों से लेकर बाजारों तक को लेकर फायर और विद्युत सुरक्षा निदेशालय के अधिकारियों ने तमाम रिपोर्ट बनाईं। हालांकि कार्रवाई कहीं नहीं हुई।
कहां कितनी दुकानें
— अमीनाबाद – 9000
— जनपथ, नाजा, समेत गंज – 3000
— नक्खास – 1200
— चौक – 1000
— यहियागंज – 1500
— पांडेग गंज – 500
— नाका औ चारबाग – 3000
— गुरुनानक मार्केट – 700