लखनऊ। जहां एक तरफ केन्द्र की मोदी सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत लगातार देश में खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रही है। लोगों से शौंचालयों का इस्तेमाल करने की अपील की जा रही है साथ ही घर घर शौचालय के साथ साथ शहरी क्षेत्रों में भी सामुदायिक शौचालय बनवाये जा रहे है लेकिन ये सामुदायिक शौचालय भी अब अवैध वसूली का अड्डा बन चुके हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी कुछ ऐसा ही हाल है जहां सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय नगर निगम के अधिकारियों और संचालक एजेंसियों के लिए अवेध कमाई का जरिया बनते जा रहे हैं। वहीं नगर निगम के आलाधिकारी और योगी सरकार इससे बेखबर नजर आ रही है।
5 रूपये की जगह लिये जा रहे 20 रूपये
बताया जा रहा है कि इन सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालयों में शौच का शुल्क 5 रूपये निर्धारित किया गया है लेकिन कुछ शौचालयों में शौच का चार्ज 20 रूपये वसूला जा रहा है। इन शौचालयों का संचालन एजेंसियां कर रही हैं लेकिन ये शौचालय नगर निगम के ही दायरे में आते हैं, ऐसे में मनमानी वसूली को लेकर नगर निगम भी जिम्मेदार है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इन शौचालयों में संचालकों ने बाकायदा रेट बोर्ड भी लगा दिया है लेकिन नगर निगम के अधिकारियों को ये नहीं दिखाई दे रहा है। अधिक शुल्क होने की वजह से लोगों ने इसका इस्तेमाल करना भी कम कर दिया है।
इंडियन के 10 और कमोड के लिए जा रहे 20 रूपये
आपको बता दें कि इन शौचालयों में नगर निगम ने शौच का चार्ज 5 रूपये रखा है लेकिन एजेंसियो ने अलग ही रेट लिस्ट बनायी हैं। इस लिस्ट में कमोड और इंडेन शौचालय का शुल्क अलग अलग रखा गया है। जहां इंडियन शौचालय के लिए 10 रूपये लिये जा रहे हैं वहीं कमोड के लिए 20 रूपये रखे गये हैं। हैरानी की बात ये है कि जहां नगर निगम के दफ्तर बने हैं, उसके आस पास के शौचालयों में भी मनमाने तरीके से वसूली हो रही है। यह स्थिति तब है जब शौचालयो की जमीन सरकारी हे, निर्माण के लिए नगर निगम ने ही पूरा पैसा खर्च किया है केवल संस्थाओं को संचालन करना है। नगर ने संस्थाओं को विज्ञापन लगाने की भी छूट दी है, ऐसे में संस्थाएं विज्ञापन से भी मोटी कमाई कर रही हैं फिर भी जनता को लूट रहे हैं।