लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) एमए संस्कृत द्वितीय सेमेस्टर के छात्र कार्तिक पांडेय ने कहा कि मेरे निष्कासन के बाद उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ द्वारा निष्कासन पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही मुझे संस्कृत एम ए द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान की गई ।उसके पश्चात विश्वविद्यालय के कुलानुशासक ने यह कहते हुए हमारा रिजल्ट रुक दिया गया कि उच्च न्यायालय ने सिर्फ परीक्षा के आदेश दिए हैं।
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) एमए संस्कृत द्वितीय सेमेस्टर के छात्र कार्तिक पांडेय ने कहा कि मेरे निष्कासन के बाद उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ द्वारा निष्कासन पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही मुझे संस्कृत एम ए द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान की गई ।उसके पश्चात विश्वविद्यालय के कुलानुशासक ने यह कहते हुए हमारा रिजल्ट रुक दिया गया कि उच्च न्यायालय ने सिर्फ परीक्षा के आदेश दिए हैं।
पीड़ित छात्र कार्तिक पांडेय ने बताया कि फिर मजबूरन मुझे पुनः उच्च न्यायालय जाना पड़ा और उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ ने 24 जनवरी 2023 को परीक्षा परिणाम घोषित करने करने का आर्डर कर दिया। जिसमें विश्वविद्यालय को उन्होंने एक हफ्ते का समय दिया था। 24 तारीख के बाद से आज तक मैं लगातार विश्वविद्यालय परिसर में अपने रिजल्ट के संदर्भ में दौड़ता रहा कि मेरी फीस जमा हो जाए। इसके लिए मैंने पूर्व में कई बार कुलानुशासक कार्यालय में एप्लीकेशन भी दी थी।
पीड़ित छात्र कार्तिक पांडेय ने बताया कि आज मुझे कहा गया कि आप कुलसचिव को एप्लीकेशन दीजिए जिससे आपकी एमए संस्कृत द्वितीय सेमेस्टर की फीस जमा हो सके। जब मैं वहां उनके पास गया तो उन्होंने मुझसे या कहा कि आपने आज जानकारी दी है। तो इसलिए आज से मैं 1 सप्ताह का समय लूंगा। पीड़ित छात्र कार्तिक पांडेय ने बताया कि शायद उन्होंने हाईकोर्ट का लेटर नहीं देखा जो कि एप्लीकेशन के साथ ही संलग्न है। पीड़ित छात्र ने बताया कि अब लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलानुशासक व कुलसचिव अपने तानाशाही रवैया को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं।