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रामनगरी के नए मेयर महंत गिरीश पति त्रिपाठी, सिविल सेवा की तैयारी छोड़ राजनीति में आजमाया हाथ और बने अयोध्या के प्रथम नागरिक

अयोध्या नगर निगम में भाजपा उम्मीवार गिरीश पति त्रिपाठी ने चुनाव में जीत दर्ज की। नगर निगम चुनाव में  1.59 लाख वोट पड़े थे। इसमें से 75,456 वोट भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार महंत गिरीश के पक्ष में पड़े। दूसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी रही। सपा के उम्मीदवार आशीष पांडेय को 41,831 वोट मिले। इस प्रकार भाजपा उम्मीदवार ने 33,625 वोटों से जीत दर्ज की।

By संतोष सिंह 
Updated Date

अयोध्या। अयोध्या नगर निगम में भाजपा उम्मीवार गिरीश पति त्रिपाठी ने चुनाव में जीत दर्ज की। नगर निगम चुनाव में  1.59 लाख वोट पड़े थे। इसमें से 75,456 वोट भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार महंत गिरीश के पक्ष में पड़े। दूसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी रही। सपा के उम्मीदवार आशीष पांडेय को 41,831 वोट मिले। इस प्रकार भाजपा उम्मीदवार ने 33,625 वोटों से जीत दर्ज की। जीत की घोषणा के बाद अयोध्या में भाजपा के मेयर पद के चुने हुए प्रत्याशी महंत गिरीश को फूल-मालाओं से लाद दिया। अयोध्या नगर निगम के मेयर चुनाव में भाजपा उम्मीदवार 47.92 फीसदी वोटों के साथ सबसे आगे रहे हैं।

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इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने समाजवादी पार्टी को बुरी तरह हरा दिया है। गिरीश पति त्रिपाठी ने वोटों की गिनती के शुरुआती दौर से ही लगातार बढ़त बनाई हुई थी, पहले राउंड से ही वो सपा प्रत्याशी को पछाड़ते हुए आगे निकल गए, इसके बाद हर राउंड के साथ बीजेपी की जीत का अंतर बढ़ता चला गया और सपा पिछड़ते चली गई।वहीं तीसरे नंबर पर बसपा और चौथे नंबर कांग्रेस पार्टी रही है।

साल 2017 में अयोध्या नगर निगम बना था. पहले चुनाव में भी बीजेपी के ऋषिकेश उपाध्याय ने मेयर सीट पर जीत हासिल की थी। पिछले चुनावों बीजेपी को यहां 44642 मत मिले थे, लेकिन इस बार बीजेपी को 60125 वोट मिले हैं जो पिछली बार से काफी ज्यादा है। यानी इस बार निगम में बीजेपी को वोटरों में भी इजाफा हुआ है। नगर निगम क्षेत्र के जीते हुए पार्षद भाजपा के 16 पार्षद, 08 सपा, 08 निर्दल, 01 बसपा, 01 आप के पार्षद जीत चुके हैं।

जानें गिरीश पति त्रिपाठी का जीवन सफर?

अयोध्या के ही तुलसी राजकीय स्कूल एवं महाराजा इंटर कॉलेज से प्राथमिक शिक्षा लेने के बाद भाजपा के मेयर प्रत्याशी और तीन कलश तिवारी मन्दिर के 49 वर्षीय महंत गिरीश पति त्रिपाठी को अपने घर से ही राजनीति के संस्कार मिले। पिता नगर पालिका की राजनीति करते थे। 1989 में चेयरमैन का चुनाव भी लड़ा। उस समय गिरीश साकेत डिग्री कॉलेज छात्र राजनीति कर रहे थे। घर के दबाव में करियर बनाने इलाहाबाद विश्वविद्यालय चले गए।

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पूरब के ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने रक्षा अध्ययन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। 2000 में महंत गिरीश पति दिल्ली सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए चले गए। वहां संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में दो बार मुख्य परीक्षा में भी सम्मिलित हुए। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। इस बीच उनके पिता का निधन हो गया।

कभी कांग्रेस के हुआ करते थे बड़े नेता

तीन कलश तिवारी मन्दिर पीठ की महंत की गद्दी रिक्त ना रहे इसलिए उनकी ताजपोशी महंत के रूप में हो गई। उन्हें सिविल सेवा की तैयारी छोड़ वापस अयोध्या आना पड़ा। इसके बाद 2004 में वह कांग्रेस से जुड़ कर राजनीति करने लगे 2004 में ही उन्हें यूथ कांग्रेस का महासचिव बना दिया गया। कांग्रेस में रहते हुए 2013 तक विभिन्न पदों पर राजनीति करते रहे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक अनुषांगिक संगठन ‘आम आदमी का सिपाही’ में उन्हें राष्ट्रीय संयोजक तक की जिम्मेदारी दी गई। इस दौरान उन्हें काफी समय असम में काम किया। साल 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता दिलवाई।

अयोध्या के ही मणिराम छावनी में महंत नृत्य गोपाल दास के जन्मोत्सव कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने उन्हें भाजपा ज्वाइन करा संगठन में काम करने को कहा। इसके बाद से महंत गिरीश पति भाजपा में सक्रिय हो गए। नव चेतना समिति के अध्यक्ष के रूप में संगठन में काम करते रहे । अमृत महोत्सव कार्यक्रम में उन्होंने महानगर संयोजक की भूमिका निभाई। इसके साथ ही साथ राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास का आशीर्वाद उन पर बना रहा।

राम जन्मभूमि आंदोलन में पिता ने सक्रिय भूमिका निभाई
कारसेवक वासुदेव की शहादत के समय उनके पिता महंत शिवानन्द पति त्रिपाठी ने उस जत्थे का नेतृत्व किया था । उन्होंने कहा कि यदि अयोध्या की जनता ने विश्वास दिखाया तो यहां रहके प्रधानमंत्री मोदी मुख्यमंत्री योगी के सपनों को पूरा करेंगे अयोध्या को विश्व स्तरीय सांस्कृतिक नगरी के रूप में पुनर्स्थापित करेंगे।

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