नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सियासी घमासान जारी है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कल शाम 5 बजे तक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करने का आदेश दिया है लेकिन एनसीपी के लिए अभी भी एक पेंच फंसता नजर आ रहा है। दरअसल एनसीपी जब शिवसेना और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने जा रही थी तो विधायक दल का नेता अजीत पवार को चुना था। अजीत पवार द्वारा दी गयी विधायकों की सहमति वाली लिस्ट के आधार पर ही बीजेपी ने सरकार बनाई। लेकिन एनसीपी प्रमुख ने उस फैसले का विरोध करते हुए बाद में जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता बना दिया।
भाजपा का कहना है कि एनसीपी ने विधायक दल का नेता अजीत पवार को चुना था, अजीत पवार के पास सारे विधायको की सहमति की लिस्ट थी, उसी लिस्ट के आधार पर बीजेपी ने राज्यपाल के सामने दावा करके सरकार बनाई है। लेकिन सरकार बनने के बाद एनसीपी प्रमुख ने अपने भतीजे का विरोध करते हुए धोखाधड़ी का आरोप लगा दिया। यही नही शरद पवार ने सारे विधायकों को उसी दिन एकत्र भी करके दिखा दिया। कल एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस ने होटल में शक्ति प्रदर्शन दिखाते हुए 162 विधायकों के एकसाथ होने का दावा भी किया। लेकिन अभी भी विधानसभा में एनसीपी के लिए एक पेंच फंस सकता हैं।
जहां एक तरफ अब एनसीपी विधायक दल का नेता जयंत पाटिल को बता रही, वहीं बीजेपी अभी भी अजीत पवार को ही विधायक दल का नेता साबित करने में लगी है। लेकिन अब इस पर फैसला विधानसभा अध्यक्ष को लेना है। अभी तक स्पीकर का चुनाव नहीं हुआ है। वहीं भाजपा के विधायक आशीष शेलार ने जयंत पाटिल को एनसीपी विधायक दल का नेता बनाए जाने पर आपत्ति जताई है।