महाराष्ट्र में सियासी उल्टफेर के बाद भी वहां पर खींचतान जारी है। एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वहां पर राजनीतिक हलचल जारी है। सत्ता से बाहर होने के बाद भी उद्धव ठाकरे पार्टी अपने पाले में ही रखने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। लिहाजा, उनके गुट चुनाव आयोग का रूख किया है और कैविएट (प्रतिवाद) दाखिल किया है।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में सियासी उल्टफेर के बाद भी वहां पर खींचतान जारी है। एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वहां पर राजनीतिक हलचल जारी है। सत्ता से बाहर होने के बाद भी उद्धव ठाकरे पार्टी अपने पाले में ही रखने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। लिहाजा, उनके गुट चुनाव आयोग का रूख किया है और कैविएट (प्रतिवाद) दाखिल किया है।
इसमें उद्धव गुट की तरफ से कहा गया है कि उनके धड़े को सुनने के बाद ही पार्टी के सिंबल धनुष—बाण पर कोई निर्णय लिया जाए। दरअसल शिवसेना के 55 विधायक हैं और उनमें से 40 ने एकनाथ शिंदे का समर्थन किया है। इसके अलावा 19 लोकसभा सांसदों में भी कई ऐसे हैं, जिनके उद्धव का साथ छोड़ने की आशंका है।
ऐसी स्थिति में एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से चुनाव आयोग जाकर सिंबल पर दावा किया जा सकता है। इस स्थिति से बचने के लिए ही उद्धव ठाकरे पहले ही ऐक्टिव हो गए हैं और चुनाव आयोग में कैविएट दाखिल की है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो उद्धव ठाकरे गुट ने कैविएट में मांग की है, ‘शिवसेना के धनुष-बाण चुनाव चिन्ह पर हमारा पक्ष सुने बिना कोई फैसला नहीं लिया जाए।’