लखनऊ। हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति के त्योहार का बेहद खास महत्व होता है। यह त्योहार सूर्य देव को समर्पित होता है। मान्यता है कि सर्दियों की तुलना में इस दिन के बाद से लंबे दिनों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन लोग सूर्य देव को खुश करने के लिए अर्घ्य देकर उनसे प्रार्थना करते हैं। स्नान-दान और खानपान का यह पर्व पिछले कई वर्षों की तरह इस बार भी 15 जनवरी को पड़ रहा है।
स्नान दान, पूजन विधान
इस बार जनवरी से लेकर जून तक 67 लगन-मुहूर्त मिल रहे हैं, सूर्य के उत्तरायण काल ही शुभ कार्य के जाते हैं। सूर्य जब मकर, कुंभ, वृष, मीन, मेष और मिथुन राशि में रहता है, तब उसे उत्तरायण कहा जाता है। इसके अलावा सूर्य जब सिंह, कन्या, कर्क, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में रहता है, तब उसे दक्षिणायन कहते हैं। इस वजह से इसका राशियों पर भी गहरा असर पड़ता है। इस वर्ष राशियों में ये परिवर्तन 14 जनवरी की देर रात हो रहा है, इसलिए इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इसी वजह से प्रयाग में भी पहला शाही स्नान 15 जनवरी को होगा।
वसंत का आगमन
कुछ लोग इसे वसंत के आगमन के तौर पर भी देखते हैं, जिसका मतलब होता है फसलों की कटाई और पेड़-पौधों के पल्लवित होने की शुरूआत। इसलिए देश के अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को विभिन्न नामों से मनाया जाता है।