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Mauni Amavasya 2022: मौनी अमावस्या पर गंगा में डुबकी लगाने का विशेष महत्व है, जानिए किन वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए

जप, तप, दान ,और मोक्ष का पर्व मौनी है  अमावस्या। इस साल की पहली सोमवती अमावस्या माघ मास 31 जनवरी को है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में सोमवती अमावस्या  को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में सोमवती अमावस्या  को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Mauni Amavasya 2022: जप, तप, दान ,और मोक्ष का पर्व मौनी है  अमावस्या। इस साल की पहली सोमवती अमावस्या माघ मास 31 जनवरी को है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में सोमवती अमावस्या  को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में सोमवती अमावस्या  को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। प्रयागराज में हर साल लगने वाले माघ मेले में मौनी अमावस्या को लाखों को श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान करने को पहुंचते हैं। आज के दिन मौन रख कर प्रयागराज त्रिवेणी संगम में स्नान या काशी में दशाश्वमेध घाट पर गंगा में डुबकी लगाने का विशेष महत्व है।

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पवित्र नदियों में स्नान करते समय इन मंत्रों का मौन जाप करने से  पुण्य फल की प्राप्ति होती है। केवल बंद होठों से ” ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः: तथा “ॐ नम: शिवाय ” मंत्र का जप करते हुए अर्घ्‍य देने से पापों का शमन एवं पुण्य की प्राप्ति होती है। इस अमावस्या के दिन भगवान शिव पार्वती के साथ बट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। सोमवती अमावस्या को रुई का स्पर्श नहीं करना चाहिए।सोमवती अमावस्या के दिन भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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