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कभी जंगलों में लकड़ियां बीनती थीं मीराबाई चानू, पदक जीत कर के रचा इतिहास

tokyo olympic: आर्थिक कमजोरी के कारण भाई के साथ पहाड़ पर लकड़ी बीनने के लिए भी जाना पड़ता था। बचपन में बेहद दर्द झेला चोट खाई लेकिन हिम्मत नहीं गवाईं जब जा के कहलाई मीराबाई। मीराबाई चानू (mirabai chanu) का जन्म 8 अगस्त 1994 को मणिपुर की राजधानी इंफाल से 20 किमी दूर नोंगपोक काकचिंग गांव में हुआ था।

By प्रिन्स राज 
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नई दिल्ली। tokyo olympic: आर्थिक कमजोरी के कारण भाई के साथ पहाड़ पर लकड़ी बीनने के लिए भी जाना पड़ता था। बचपन में बेहद दर्द झेला चोट खाई लेकिन हिम्मत नहीं गवाईं जब जा के कहलाई मीराबाई। मीराबाई चानू (mirabai chanu) का जन्म 8 अगस्त 1994 को मणिपुर की राजधानी इंफाल से 20 किमी दूर नोंगपोक काकचिंग गांव में हुआ था।

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अपने छ: भाई बहनों में सबसे छोटी मीरा (mirabai chanu)  आज अपने द्वारा हासिल उपलब्धि से सबसे बड़ी हो गई हैं। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा अपनी गांव के स्कूल से पूरी हुई। वेटलिफ्टर मीराबाई चानू को 2018 में भारत सरकार ने देश के सबसे बड़े पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा था।

आज वेट लिफ्टिंग के 49 किग्रा वर्ग में भारत को रजत पदक दिलाने वाली मीराबाई चानू (mirabai chanu) ने भारत को टोक्यो ओलंपिक (mirabai chanu tokyo olympic) में पहला पदक दिलाया है। कुंजारानी देवी की शिष्य रही हैं मीराबाई चानू (mirabai chanu) । कुंजरानी देवी खुद भी एक वेटलिफ्टिंग की खिलाड़ी रह चुकि हैं।

कई बार दिया है भारत को गौरान्वित होने का मौका

1: साल 2014 में मीराबाई ने ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में भी 48 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल जीता था
2: साल 2016 में मीराबाई ने रियो ओलंपिक में क्वालिफाई तो किया पर वहां कोई पदक नहीं जीत पाई
3: साल 2016 में ही साउथ एशियन गेम्स में इन्होंने गोल्ड मेडल जीता
4: साल 2017 में इन्होंने वेट लिफ्टिंग के विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड जीता
5: साल 2018 में मीराबाई चोट के कारण एशियन गेम्स में हिस्सा नहीं ले पाई

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इन सम्मानों से हो चुकि हैं सम्मानित

1: साल 2018 में मीराबाई को भारत सराकर के द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
2: साल 2018 में ही इन्हें भारत के राष्ट्रपति के द्वारा भारत का खेल का सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिया गया।

 

 

 

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