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डमरू की तरह बजते हैं इस शिव मंदिर के पत्थर, जानें चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर के बारे में

भगवान शिव के प्रिय मास सावन (sawan) आज से प्रारम्भ हो चुका है। ऐसे में भगवान शिव के के एक प्रमुख रहस्यमयी और चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। भारत में हिमाचल को देवभूमि कहा जाता है। इस राज्य में सबसे ऊंचाई पर जटोली शिव मंदिर( jaloti shiv mandir)  स्थित है। 122 फुट ऊंचे इस मंदिर को देश का सबसे ऊंचा शिव मंदिर कहा जाता है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

सोलन। भगवान शिव के प्रिय मास सावन (sawan) आज से प्रारम्भ हो चुका है। ऐसे में भगवान शिव के के एक प्रमुख रहस्यमयी और चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। भारत में हिमाचल को देवभूमि कहा जाता है। इस राज्य में सबसे ऊंचाई पर जटोली शिव मंदिर( jaloti shiv mandir)  स्थित है। 122 फुट ऊंचे इस मंदिर को देश का सबसे ऊंचा शिव मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर के पत्थरों के एक हम खास विशेषता का जिक्र हम करने जा रहे है। यहां के पत्थरों को थपथपाने पर डमरू की तरह बजने की आवाज आती है। मान्यता है कि इस स्थान पर खुद शिव ने निवास किया था। यहां का जलकुंड है जो कभी सूखता नहीं है। भगवान शिव के प्रिय मास सावन माह (Shravan Month) में जटोली शिव मंदिर में  दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है।

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द्रविड़ शैली में निर्मित मंदिर की ऊंचाई लगभग 111 फुट है। इसके अलावा मंदिर के ऊपर 11 फुट का विशाल सोने का कलश भी स्थापित है। इस तरह इसकी ऊंचाई 122 फीट हो जाती है। मंदिर निर्माण कला का एक बेजोड़ नमूना भी है। मान्यता है कि पौराणिक काल में भगवान शिव कुछ समय के लिए यहां खुद आकर रहे थे।

जटोली मंदिर में हर तरफ देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, जबकि अंदर स्फटिक मणि का शिवलिंग स्थापित है। यहां भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां भी स्थापित की गई है।

कहा जाता है कि 1950 में यहां स्वामी कृष्णानंद परमहंस नाम के संत आए थे। उस समय सोलन में लोग जल संकट से गुजर रहे थे। स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने घोर तपस्या के बाद त्रिशूल के प्रहार किया तो जमीन से जलधार फूट पड़ी। उससे यहां ऐसा जलकुंड बना जिसमें 12 माह पानी रहता है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि कुंड के जल के सेवन से कई रोगों से मुक्ति भी मिल जाती है।

बाबा के मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर (shiv mandir) का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। साल 1974 में उन्होंने मौजूदा मंदिर की नींव रखी थी। स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने साल 1983 में उन्होंने समाधि ले ली, लेकिन मंदिर का निर्माण कार्य रूका नहीं बल्कि इसका कार्य मंदिर प्रबंधन कमेटी देखने लगी। जटोली शिव मंदिर को पूरी तरह तैयार होने में करीब 39 साल का समय लगा है।

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हिंदू कैलेंडर के हिसाब से सावन पांचवा महीना माना जाता है। इसे श्रावण मास (Shravan Maas ) भी कहा जाता है। इसे शास्त्रों में बहुत पवित्र माह माना गया है। सावन माह में अलग अलग तरीके से शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। रविवार 25 जुलाई से शुरू हो रहा है जो 22 अगस्त तक चलेगा। सावन माह के सोमवार के दिन विशेष रूप से शिव और मां पार्वती के भक्त उनका व्रत रखकर विशेष पूजा करते हैं। इस बार के सावन में कुल 4 सोमवार पड़ रहे हैं।

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