नई दिल्ली। केंद्रिय कैबिनेट ने आज लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एससी-एसटी आरक्षण (SC/ST Reservation) को और दस साल के लिए बढ़ाने को मंजूरी दी गई है। बता दें कि एससी/एसटी आरक्षण 25 जनवरी को खत्म हो रहा था लेकिन अब इसे 10 साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
हालांकि यह प्रक्रिया 1960 से लगातार दोहराई जा रही है लेकिन वर्तमान माहौल में यह इसलिए भी अहम है क्योंकि विपक्ष का एक खेमा मोदी सरकार को दलित विरोधी करार देने की कोशिश करता रहा है। जबकि खुद मोदी कई बार यह कहते रहे हैं कि उनके रहते आरक्षण खत्म नहीं हो सकता है।
बता दें कि संविधान की धारा 334 के अनुसार इस आरक्षण का प्राविधान किया गया था लेकिन यह सिर्फ दस साल के लिए था। इसके बाद से हर दस साल में संविधान संशोधन के जरिए यह अगले दस साल के लिए बढ़ाया जाता रहा है। आखिरी बार 2009 में यह पारित हुआ था और 2020 तक के लिए लागू है।
कैबिनेट में क्या लिया गया फैसला?
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अपने सभी सांसदों को संसद में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। साफ है कि अगर बिल को लोकसभा या राज्यसभा में पेश किया जाता है, तो इसपर चर्चा के बाद तुरंत वोटिंग होगी। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इस कानून को लाने का वादा किया था। ऐसे में राजनीतिक तौर पर भी बीजेपी के लिए ये बिल काफी अहम है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय जनता पार्टी की संसदीय दल की बैठक में सांसदों से कहा था कि अनुच्छेद 370 बिल के बाद ये बिल काफी अहम है, ऐसे में सभी सांसदों का सदन में रहना काफी जरूरी है।