सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद आरक्षण समर्थक कार्मिकों ने शुक्रवार को फिर कहा कि जब तक केंद्र की मोदी सरकार पदोन्नतियों में आरक्षण का 117 वां लंबित बिल लोकसभा से नहीं करेगी। तब तक पारित दलित कार्मिकों को न्याय नहीं मिल पायेगा । दलित और पिछडे वर्ग के कार्मिकों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था बहाल कराई जाए। सभी राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र में इस बात का खुलासा करें कि उनके दल की पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था पर क्या राय है?
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद आरक्षण समर्थक कार्मिकों ने शुक्रवार को फिर कहा कि जब तक केंद्र की मोदी सरकार पदोन्नतियों में आरक्षण का 117 वां लंबित बिल लोकसभा से नहीं करेगी। तब तक पारित दलित कार्मिकों को न्याय नहीं मिल पायेगा । दलित और पिछडे वर्ग के कार्मिकों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था बहाल कराई जाए। सभी राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र में इस बात का खुलासा करें कि उनके दल की पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था पर क्या राय है?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पदोन्नति में आरक्षण पर शुक्रवार को जो फैसला आया है। उससे तय हो गया है कि जब तक केंद्र की मोदी सरकार लोकसभा में लंबित 117 वां पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक बिल को पास नहीं किया जाता है। तब तक राज्यों में सुचारू रूप से पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था राज्य सरकारें नहीं लागू करेंगी ।
उसमें हीलाहवाली करती रहेंगी। केंद्र की मोदी सरकार वास्तव में यदि दलित कार्मिकों की हितैषी है। तो वह पदोन्नति में आरक्षण का बिल अविलंब पास कराए और सभी राज्यों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को बाध्यकारी बनाए । लगभग 10 वर्षों से पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था ज्यादातर राज्यों में लागू नहीं हो पा रही है। उत्तर प्रदेश में तो 2 लाख दलित कार्मिक जो पूर्व में रिवर्ट किए गये। आज तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया। सब मिलाकर जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव चल रहा है। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार जो उत्तर प्रदेश में भी सत्ता पर काबिज है। वह अविलंब दलित कार्मिकों के हित में फैसला लेते हुए पदोन्नति में आरक्षण का बिल पारित कराएं ।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अवधेश कुमार वर्मा, के बी राम रामशब्द जैसवारा आर0पी0 केन,, अनिल कुमार, अजय कुमार, श्यामलाल अंजनी प्रेमचंद्र लेखराम ने अपने बयान में कहा पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था राज्यों के लिए जब तक बाध्यकारी नहीं होगी तब तक राज्य अपने अपने तरीके से दलित कार्मिकों को भरमाते रहेंगे आरक्षण हो या पदोन्नति में आरक्षण इन सब व्यवस्थाओं को लागू कराने वाले जब तक ईमानदार नहीं होंगे तब तक देश के दलित या पिछडे वर्ग के कार्मिकों को उनका कोई भी संवैधानिक हक प्राप्त नहीं हो पाएगा आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति लगातार यह मांग कर रही है कि प्रदेश में दलित और पिछडे वर्ग के कार्मिकों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था बहाल कराई जाए और सभी राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र में इस बात का खुलासा करें कि उनके दल की पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था पर क्या राय है ।