
लखनऊ। आज नवरात्रि का चौथा दिन है और इस दिन भक्त मां कूष्मांडा की पूजा-आराधना करते हैं। मान्यता है कि मां कूष्मांडा की पूजा-उपासना करने से समस्त रोग-शोक दूर होते हैं और आयु-यश में वृद्धि होती है। देवी कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। जाने माता के स्वरूप और पूजन विधि के बारे में …
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जाने कैसा है मां का स्वरुप —-
कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। इसके अलावा हाथ में अमृत कलश भी है। मां का वाहन सिंह है और इनकी सच्चे मन से पूजा आराधना करने से आयु, यश और आरोग्य की वृद्धि होती है।
मां कूष्मांडा का मंत्र
मंत्र: या देवि
सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमो नम:
या
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
मां कूष्मांडा की पूजन विधि
माता कुष्मांडा के दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाकर किसी भी दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को इसका प्रसाद देना चाहिए।
इससे माता की कृपा स्वरूप उनके भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि और कौशल का विकास होता है।
देवी को लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चूड़ी भी अर्पित करना चाहिए।