नई दिल्ली। नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा ने मह्रिषी कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि उनके घर पुत्री पैदा होगी जिसकी लोग पूजा करेंगे। जिसके बाद मां कात्यायनी का जन्म मह्रिषी कात्यायन के यहां हुआ। महिषासुर राक्षस का वध करने के कारण इनका एक नाम महिषासुर मर्दिनी भी है। मान्यता है कि इनकी अराधना से भय, रोगों से मुक्ति और सभी समस्याओं का समाधान होता है।
माता का स्वरुप
मां कात्यायनी का वाहन सिंह है और इनकी चार भुजाएं हैं।
मां कात्यायनी का मंत्र
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना|
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि||
मां को लगाएं भोग
पुराणों में बताया गया है कि देवी की पूजा से गृहस्थों और विवाह योग्य लोगों के लिए बहुत शुभफलदायी है।