नई दिल्ली। थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के सेवानिवृत होने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे भारतीय थलसेना के नए अध्यक्ष होंगे। मौजूदा सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऑपरेशन और कमांड का लंबा अनुभव रखने वाले नरवाणे जनरल बिपिन रावत के बाद सेना के सबसे अनुभवी अधिकारी हैं।
बता दें कि मनोज मुकुंद नरवाणे, एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और नौसेना अध्यक्ष करमबीर सिंह ने 1976 में नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) का 56वां कोर्स एक साथ किया था। भारतीय सेना के इतिहास में यह दूसरा मौका है, जब तीनों सेनाओं के प्रमुख एनडीए के बैचमेट होंगे।
इससे पहले 1991 में तत्कालीन थलसेना प्रमुख सुनीत फ्रांसिस रोडरिग्ज, नौसेना प्रमुख एडमिरल लक्ष्मी नारायण रामदास और एयर चीफ मार्शल निर्मल चंद्र सूरी ने एक साथ तीनों सेनाओं का नेतृत्व किया था। इन तीनों सैन्य अधिकारियों ने एनडीए का कोर्स भी एक साथ किया था।
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे 13वें सेना प्रमुख होंगे जिन्होंने एनडीए से कोर्स किया है। इसके अलावा एनडीए से पढ़ाई करने वाले 11 कैडेट्स नौसेना और नौ कैडेट्स वायुसेना की कमान संभाल चुके हैं। बाकी सेना प्रमुखों ने भारतीय सैन्य अकादमी, वायुसेना अकादमी और नौसेना अकादमी से पढ़ाई की है।
कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे
इस साल सितंबर में सेना का उप प्रमुख पद संभालने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे। सेना की यह कमान चीन से लगती 4000 किलोमीटर लंबी सीमा की सुरक्षा करती है। अपने 37 साल की सेवा में उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में आतंकवाद व उग्रवाद विरोधी अभियानों, शांतिकाल में विभिन्न कमानों का नेतृत्व किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन और पूर्वी मोर्चे पर इंफैंट्री ब्रिगेड का नेतृत्व भी किया। लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे श्रीलंका भेजी गई भारतीय शांति बल का हिस्सा थे। वह म्यांमार स्थित भारतीय दूतावास में तीन साल तक डिफेंस अटैची भी रहे।
पिछले बार खड़ा हुआ था विवाद
आम तौर पर नए सेना प्रमुख का फैसला वरिष्ठता के आधार पर होता है लेकिन चार मौके पर इस व्यवस्था का पालन नहीं किया गया। ऐसा जनरल केसी थिमैय्या, टीएन रैना, एएस वैद्य और बिपिन रावत के मामले में हुआ। जनरल रावत को लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी पर वरीयता देते हुए सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। इस पर काफी विवाद भी हुआ था।