नई दिल्ली। सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग के केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में नौकरशाही को खूब खरी-खरी सुनाई। उन्होंने आरोप लगाया कि नौकरशाही की प्रवृत्ति सिर्फ विकास कार्यों पर प्रतिबंध लगाने की होती है। उन्होने बताया कि पेंड़ो को काटने की अनुमति के लिए छह महीने लग जात हैं। नौकरशाह काम होने की जगह उसे रोकने का प्रयास करते रहते हैं।
शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने एक सवाल किया था जिसका जबाब देते हुए गडकरी ने नौकरशाही पर सवाल खड़े कर दिये हैं। उन्होने कहा कि परियोजनाओं में कई अड़चनें आ रही हैं। सबसे खराब रवैया नौकरशाही का है। नौकरशाह सकारात्मक दृष्टिकोण से काम नही कर रहे है। उन्होने आरोप लगाया कि कोंकण के छावनी क्षेत्र में सेना ने बन्दूख की नोक पर काम रुकवा दिया जिसके बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से शिकायत भी की गई है। उन्होने इस दौरान एक तंज कसते हुए कहा कि देश में चाय से ज्यादा केतली गरम कहावत चरितार्थ हो रही है।
गडकरी ने कहा कि आजकल हर विभाग ने अजीब कार्य संस्कृति अपना रखी है। उनका कहना है कि जब कोई रोड बनकर तैयार होती है तो टेलीफोन विभाग खुदाई करने लगता है, इसके बाद बिजली वाले भी पोल गाड़ने के लिए गढ़े खोदने लगते हैं। पहले जो भी डीपीआर बनाये जाते थे वो ज्यादातर फर्जी होते थे। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि डीपीआर बनाने वाले सेवानिवृत्त इंजीनियर होते थे और उन्हे 80 फीसदी एडवांस में भुगतान कर दिया जाता था।
उनका कहना है कि फर्जी डीपीआर की वजह से ही निर्माणकार्य में मापदंड का पालन नही हो सका। दुर्घटना के बाद लोग ड्राइवर के नशे का कारण बता देते हैं जबकि इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार डीपीआर बनाने वाले इन्जीनियर हैं। उन्होने कहा कि अब मैने सीधे हिदायत दी है कि अगर किसी ने भी डीपीआर बनाने में लापरवाही की तो उसके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करवाउंगा।