देहरादून। उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी पिछले साढ़े सात साल से कहां हैं? देहरादून जेल प्रशासन को इसकी कोई जानकारी नहीं है। प्रशासन सिर्फ इतना बता पा रहा है कि साल 2012 के मार्च महीने में अमरमणि त्रिपाठी को दून जेल से एक मामले में पेशी के लिए गोरखपुर ले जाया गया था। इसके बाद से उनकी कोई जानकारी दून प्रशासन को नहीं है। यह मामला पूरे सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़ा कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2003 के मई में लखनऊ की उभरती कवियित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में तत्कालीन मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को गिरफ्तार किया गया था। देहरादून की सीबीआई अदालत ने 2007-08 में अमरमणि त्रिपाठी और अन्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कुछ समय देहरादून जेल में निरुद्ध रहे अमरमणि त्रिपाठी ने ज्यादातर समय गोरखपुर मेडिकल कॉलेज या फिर वहां की जेल में बिताया। आपको बता दें कि यूपी की राजनीति में त्रिपाठी का अच्छा-खासा रसूख रहा है।
आमतौर पर सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल देने के लिए सरकारें नियम-कानून पढ़ाती हैं, मगर अमरमणि त्रिपाठी के लिए सारे नियम कानूनों को ताक पर रख दिया गया। मार्च 2012 में अमरमणि को दून जेल से एक मामले की सुनवाई में गोरखपुर ले जाया गया था लेकिन तब से वे नहीं लौटे। मेडिकल ग्राउंड पर अमरमणि ने काफी समय गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के साथ ही लखनऊ और दिल्ली एम्स में बिताया।
दून जेल से गोरखपुर जाकर मेडिकल कॉलेज में भर्ती किए गए अमरमणि को वापस दून जेल में शिफ्ट करने के लिए मधुमिता शुक्ला की बहन निधि ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सितंबर, 2019 में हाईकोर्ट ने अमरमणि को देहरादून शिफ्ट करने के आदेश दिए थे, लेकिन तब से उन्हें यहां नहीं लाया जा सका है।
किसी भी सजायाफ्ता और बंदी को एक साल में दो महीने से अधिक दिनों तक पैरोल देने की व्यवस्था नहीं है। लेकिन बाहुबली अमरमणि की पैरोल को लेकर सरकार के पास ही पूरी जानकारी नहीं है। उत्तराखंड में पहले जिला प्रशासन को 15 दिनों तक पैरोल देने का अधिकार था, लेकिन अब सरकार ने इसे शासन के अधीन कर दिया है।