नई दिल्ली। अभी तक गन्ने की कीमत केन्द्र सरकार ही तय करती थी लेकिन अब राज्य सरकारें भी गन्ने की कीमत अपने हिसाब से तय कर सकती है। गन्ने की खरीद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अब राज्य अपने यहां गन्ने की न्यूनतम खरीद कीमत तय कर सकते हैं। अगर यह केंद्र की तरफ से तय कीमत से ज्यादा है तो उसमें कोई दिक्कत नहीं। 2005 में दाखिल वेस्ट उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन की याचिका पर फैसला आया है।
मिल मालिकों का कहना था कि कीमत तय करने का हक सिर्फ केंद्र को है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार गन्ना का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) तय करती है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में मिल एफआरपी देती है। वहीं, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में प्रदेश सरकार राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) तय करती है।
एसएपी अमूमन एफआरपी से अधिक होता है। इस वजह से वेस्ट उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन ने 2005 में याचिका दाखिल की थी और कहा था कि कीमत तय करने का अधिकार केंद्र को है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अब हर राज्य अपने यहां गन्ने की न्यूनतम खरीद कीमत तय कर सकता है।