नई दिल्ली: भारत सरकार भी कोरोना वायरस वैक्सीन के रोलिंग रिव्यू का फैसला कर सकती है। खासतौर से ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके को जल्द उपलब्ध कराने के लिए यह प्रोसेस शुरू हो सकता है। यूनाइटेड किंगडम में यह वैक्सीन पहले से ही एक्सीलेरेटेड रिव्यू में है ताकि वैक्सीन के अप्रूवल को तेज किया जा सके। कोविड-19 वैक्सीन के लिए बने नैशनल एक्सपर्ट ग्रुप (NEGVAC) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसके संकेत दिए हैं। भारत में ऑक्सफर्ड टीके का ट्रायल सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) कर रही है। ये ट्रायल अन्य देशों के मुकाबले भारत में कम सैंपल साइज पर हो रहे हैं। रोलिंग रिव्यू के जरिए वैक्सीन के इवैलुएशन प्रोसेस को तेज किया जा सकता है। मगर ये है क्या चीज?
कैसे होता है वैक्सीन का रोलिंग रिव्यू?
किसी वैक्सीन के रोलिंग रिव्यू से रेगुलेटर को उसके क्लिनिकल ट्रायल का डेटा रियल-टाइम बेसिस पर जांचने को मिलता है। आमतौर पर कंपनियां पहले वैक्सीन का ट्रायल करती हैं, फिर उसका डेटा रेगुलेटर्स को भेजती हैं। ‘रोलिंग रिव्यू’ में ट्रायल पूरा होने का इंतजार किए बिना टुकड़ों में जांच होती है। इमर्जेंसी में वैक्सीन को मंजूरी दी जा सकती है लेकिन रोलिंग रिव्यू से वैक्सीन अप्रूवल का प्रोसेस और तेज हो जाता है। इसमें रेगुलेटर्स को फेज 3 ट्रायल खत्म होने का इंतजार नहीं करना पड़ता।
यूके की तर्ज पर भारत में भी रोलिंग रिव्यू संभव
ऑक्सफर्ड-एस्ट्रोजेनका टीके का यूके और ब्राजील में में भी ट्रायल हो रहा है। उसका डेटा भी भारतीय रेगुलेटर से साझा किया जाएगा। चूंकि यूके में मेडिसिंस ऐंड हेल्थकेयर प्रॉडक्ट्स रेगुलेटरी अथॉरिटी (MHRA) संभावित वैक्सीन का रोलिंग रिव्यू कर रही है, कंपनी भारत में भी इसी प्रोसेस की मांग कर सकती है।
विदेशी ट्रायल्स पर सरकार की नजर
हाल ही में SII के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा था कि वैक्सीन ने शुरुआती ट्रायल में अच्छे नतीजे दिए हैं। लेकिन सरकार यह जानना चाहती है कि वैक्सीन भारत के बाहर हो रहे फेज 3 ट्रायल्स में कैसा परफॉर्म कर रही है।