नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की तीखी बहस लिंगायत धर्मगुरु स्वामी वाचानंद के साथ एक मंच पर हो गई। कैबिनेट विवाद को लेकर दोनों के बीच बहस में येदियुरप्पा इतना नाराज हो गए कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की धमकी दे डाली। उन्होंने कहा कि मैं सत्ता का आदी नहीं हूं और तुरंत पद छोड़ने के लिए तैयार हूं।
मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा लिंगायत समाज के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। इस कार्यक्रम के दौरान मंच पर लिंगायत समाज के संत स्वामी वचनानंद भी मौजूद थे। स्वामी वचनानंद ने लिंगायत समुदाय से आने वाले भाजपा नेता मुरुगेश निरानी को मंत्री बनाने की मांग भाषण के दौरान कही। स्वामी जी की बात सुनकर येदियुरप्पा काफी नाराज हो गए। हालांकि इसके बाद अपने भाषण में येदियुरप्पा ने कहा उपचुनाव के बाद नए विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल नहीं करता, तो कर्नाटक में भाजपा की सरकार बननी मुश्किल थी। इसलिए कुछ भाजपा विधायकों को मंत्री बनाना मुमकिन नहीं था।
मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा खुद लिंगायत समुदाय से आते हैं। राजनीति जानकारों का ऐसा मामना है कि येदियुरप्पा की इस समुदाय की करीब 17 फीसद आबादी पर मजबूत पकड़ है। कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों में से करीब 80 पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव है। कई बार यह समुदाय हिंदू धर्म से अलग होने की मांग करता रहा है। इनकी मांगों के आधार पर ही न्यायमूर्ति नागमोहन दास समिति की सिफारिशों के तहत सिद्धरमैया सरकार ने इस प्रस्ताव को अंतिम स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा था।
इससे पहले नवंबर 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इस संदर्भ में कहा था कि अलग धर्म का दर्जा देने से हिंदू समाज और बंट जाएगा। वैसे बता दें कि दक्षिण के कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और केरल तक फैले इस समुदाय को प्रभावशाली समुदाय माना जाता है। लिंगायत और वीरशैव 92 उपजातियों में बंटे हैं। हालांकि, दोनों समुदायों की पूजा पद्धति में थोड़ी भिन्नता है।