लखनऊ: यूपी के जल निगम में इस समय बवाल मचा हुआ है। जल निगम विभाग ने अपने 24 हजार से ज्यादा कर्मचारी व पेंशनर्स को तीन महीने से सैलरी व पेंशन नहीं दी है। जल निगम पर सवाल इसलिए उठ रहा है कि वह तीन माह से अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन सीएम कोविड केयर फंड में देने के लिए एक करोड़ 47 हजार रुएये हैं।
यूपी जल निगम ने सीएम कोविड केयर फंड में एक करोड़ 47 हजार रुपए जमा किया है और निगम की ओर से इसे फरवरी महीने का एक दिन का वेतन बताया गया। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि जब उन्हें सैलरी ही नहीं मिली, तो कैसे उससे एक दिन का वेतन का काट लिया गया।
यूपी के जल निगम में लगभग 12,400 कर्मचारी व 12600 पेंशन धारक हैं। तीन महीने से सैलरी और पेंशन न मिलने के कारण ये लोग परेशान हैं। वहीं पेंशनर्स की ओर से सरकार को पत्र लिखकर भी मदद की गुहार लगाई गई है। गुरुवार को सुबह-सुबह सूबे के पूर्व मुखिया अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर इस पर सवाल उठाया है। उन्होंने लिखा है कि उप्र जल निगम 3 महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं दे रहा है लेकिन मुखिया जी के तथाकथित कोरोना सहायता कोष में दान दे रहा है।
इस मामले में यूपी जल निगम कर्मचारी महासंघ के संयोजक अजय पाल सोमवंशी का कहना है कि ‘विभाग के किसी को बीते तीन महीनों (फरवरी, मार्च, अप्रैल) से कोई सैलरी नहीं मिली है, तो फिर कैसे उससे पैसा काट लिया वो भी बिना किसी जानकारी। वह कहते हैं, हमें कोविड फंड में एक दिन की सैलरी देने में आपत्ति नहीं है। हमें आपत्ति इससे है कि जब कर्मचारियों को ही निगम तीन महीने से सैलरी नहीं दे पा रहा है, तो कोविड केयर फंड में देने का पैसा कहां से आया और कटौती करके फंड में रकम दे दी तो फरवरी का वेतन भी तो जारी किया जाना चाहिए था।
यह मामला प्रकाश में तब आया जब 27 अप्रैल को जल निगम के एमडी विकास गोठलवाल और नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लगभग 1.47 करोड़ का चेक सौंपा। इस राशि के बारे में कहा गया कि कर्मचारियों ने अपनी इच्छा से एक दिन का वेतन दान में दिया है।
वहीं, जल निगम के एमडी विकास गोठवाल ने कर्मचारियों के इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि कोविड केयर फंड के लिए सबकी सहमति से एक दिन का वेतन काटा गया है। उनकी ओर से प्रदेश के सभी 10 जोनल इंजीनियरों को इससे संबंधित एडवाइजरी जारी की गई थी। उन्होंने अपने-अपने जोन में भी ये बात पहुंचा दी थी। कई कर्मचारी संगठनों ने भी हामी भरी थी, जिसके बाद एक दिन का वेतन कटा।
वहीं सैलरी न देने पर एमडी विकास गोठवाल का कहना है कि सैलरी बैकलॉग पहले से चला आ रहा है.। पिछले 12 महीने में 12 बार सैलरी दी जा चुकी है। 1-2 महीने का बैकलॉग पिछले एक साल से चल रहा है, जल्द ही बाकी महीनों की भी सैलरी दे दी जाएगी। वह कहते हैं कि सैलरी में देरी का अहम कारण जल निगम का वित्तीय नुकसान भी है। जल निगम के कर्मचारियों को काम के एवज में मिलने वाले सेंटेज (एक तरह का कमीशन) से वेतन मिलता है। लॉकडाउन के कारण डेढ़ महीने से काम प्रभावित रहा। इस कारण वित्तीय नुकसान भी बढ़ गया।