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यूपी में रेगुलेटरी सरचार्ज बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध शुरू, उपभोक्ता परिषद ने पोल खोलने की दी चेतावनी

विद्युत उपभोक्ता परिषद ने रेगुलेटरी सरचार्ज में बढोत्तरी के जरिये बिजली दरों में इजाफे को बिजली कंपनियों की साजिश करार दिया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने सोमवार को विद्युत नियामक आयोग की होने वाली सुनवाई में पोल खोलने की चेतावनी दी है।अवधेश वर्मा ने आयोग में याचिका दाखिल कर बिजली कम्पनियों के प्रस्ताव को असंवैधानिक करार दिया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। विद्युत उपभोक्ता परिषद ने रेगुलेटरी सरचार्ज में बढोत्तरी के जरिये बिजली दरों में इजाफे को बिजली कंपनियों की साजिश करार दिया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने सोमवार को विद्युत नियामक आयोग की होने वाली सुनवाई में पोल खोलने की चेतावनी दी है।

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अवधेश वर्मा ने आयोग में याचिका दाखिल कर बिजली कम्पनियों के प्रस्ताव को असंवैधानिक करार दिया और उसे खारिज करने की मांग की। उन्होंने कहा कि 2019 का टैरिफ आदेश तीन साल बाद रिवाइज्ड करने की बात करना अधिनियम 2003 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि नियमानुसार ऐसे किसी भी आदेश पर 90 दिन के अंदर पुनर्विचार हो सकता है मगर यहाँ तीन साल बाद की टैरिफ संशोधन की बात करना पूरी तरह असंवैधानिक हास्यास्पद है। राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने जनहित में ऑनलाइन एक याचिका विद्युत नियामक में दाखिल कर बिजली कम्पनियों के प्रस्ताव को खारिज करने की मांग की।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने इसके बाद नियामक आयोग चेयरमैन आरपी सिंह के अलावा सदस्य वीके श्रीवास्तव और केके शर्मा से भी मोबाइल पर बात कर अपनी याचिका उन्हे भी भेजते हुए उपभोक्ताओ के साथ न्याय करने की मांग उठाई और कहा इस कोरोना संकट में उपभोक्ताओ की बिजली दरों में रहत दिलाई जाय ।
उन्होने कहर कि कल की सुनवाई में उपभोक्ता परिषद् सबकी पोल खोलकर फिर उपभोक्ताओ की जीत कराएगा और प्रदेश के उपभोक्ताओ को जो बिजली कम्पनियों पर लगभग 19537 करोड़ निकल रहा है, उसके एवज में बिजली दरों में कमी कराने के लिए पूरी ताकत झोंकेगा ।

उपभोक्ता परिषद् ने अपनी याचिका में जो सवाल खड़ा किया है ,उसमें बिजली कम्पनियों  का जो कहना है कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओ पर वर्ष 2000 से लेकर अब तक 49827 करोड़ रुपया निकल रहा है इसलिए जैसा की बिन्दु 5 में बिजली कम्पनियों ने मांग उठाई है की टैरिफ आदेश तीन सितम्बर 2019 को संसोधित कर रेगुलेटरी सरचार्ज तय किया जाय जो असंवैधानिक है । क्योंकि जो टैरिफ आदेश लागू होकर खत्म हो गया उसकी अधिसूचना 3 वर्ष पहले समाप्त हो चुकी है। उसमे संशोधन की बात करना विद्युत अधिनियम 2003 व आयोग द्वारा बनाये गये रेगुलेशन का उल्लंघन है।

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