नई दिल्ली। एआईएमआईएम के चीफ असद्दुीन ओवैसी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के बयान पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि नीतियों के निर्धारण का काम प्रशासन का है, न की कोई जनरल इसे कर सकता है। दरअसल, सीडीएस ने कहा था कि दस साल के लड़के और लड़कियों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है। उन्हें इस कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले शिविरों में ले जाना चाहिए।
असद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा कि ‘भीड़ हिंसा करने वाले और उनके आकाओं को कट्टरपंथ से कौन मुक्ति दिलाएगा? असम के बंगाली मुसलमानों के लिए नागरिकता का विरोध करने वालों के बारे में क्या? शायद ‘बदला’ योगी और ‘पाकिस्तान जाओ’ कहने वाले मेरठ के एसपी को कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाई जाएगी?
शायद उन लोगों को कट्टरपंथ से दूर किया जाएगा जो एनपीआर-एनआरसी के जरिए हमारे ऊपर मुसीबतें थोप रहे हैं?’ इसके साथ ही उन्होंने दूसरा ट्वीट किया जिसमें कहा कि ‘यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने इस तरह का बेतुका बयान दिया है। नीतियों का निर्धारण नागरिक प्रशासन करता है न की कोई जनरल। नीतियों/ राजनीति पर बोलकर वह नागरिक वर्चस्व को कम कर रहे हैं।’
2020 रायसीना डायलॉग के दौरान जनरल रावत ने कश्मीर के युवाओं का जिक्र किया था जिसे लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष ने उनपर हमला बोला है। गौरतलब है कि सीडीएस रावत ने कहा था कि हमें कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले कार्यक्रम शुरू करने चाहिए, जिससे पहचाना जा सके कि कौन—कौन कट्टरपंथी हैं और किस हर तक के हैं। उन्होंने कहा कि आज कश्मीर में दस साल के लड़के और लड़कियों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है लेकिन उन्हें इससे दूर करने की योजना बनानी चाहिए।