
दिवाली की रात किए जाने वाले तांत्रिक और काला जादू संबंधी अनुष्ठानों के लिए उल्लू पक्षी की मांग काफी बढ़ गई है। दिए की रोशनी में कई अंधविश्वास भरे काम भी होते है जैसे कि इस दौरान उल्लुओं की बलि भी दी जाती है। इसके पीछे भी एक अंधविश्वास छिपा हुआ है जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगा।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तंत्र मंत्र और काला जादू में संलिप्त कुछ लोग उल्लू की बलि दे देते हैं। कहा जाता है कि इससे धन की देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। यह आकलन करना मुश्किल है कि दिवाली पर कितने उल्लू अंधविश्वास के शिकार होते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इनकी संख्या अधिक होती है।
दिवाली से सप्ताहों पहले शिकारी बेचने और अच्छा मुनाफा कमाने के लिए उल्लू को पकड़ना शुरू कर देते हैं। उल्लू के अंग जैसे पंजे, खोपड़ियां, हड्डियां, पंख, मांस और खून भी तावीजों और पारंपरिक दवाओं में इस्तेमाल किए जाते हैं। आगरा के एक तांत्रिक राममोहन ने बताया, ‘जब उल्लू की बलि दी जाती है तो लोगों को लगता है कि लक्ष्मी उनके घर में हमेशा रहेंगी, क्योकि यह पक्षी देवी का वाहन है।’
Owl Sacrifice During Deepawali :
ये है अंधविश्वास-
ऐसा करने वाले लोगों का मानना है कि उल्लू, लक्ष्मी माता का प्रतीक होता है और धनतेरस या दीवाली वाले दिन इसकी बलि देने लक्ष्मी माता प्रसन्न होती है। ये लोग इस अंधविश्वास के चलते ये काम करते है और उल्लू की बलि देकर अधिक लक्ष्मी माता को प्रसन्न करते है जो कि सिर्फ अंधविश्वास है।
तस्करी करने पर हो सकती है सजा-
भारतीय कानून के अंतर्गत जो ऐसा करते पकड़ा गया उसको जेल तक हो सकती है। उल्लू की तस्करी करने की सजा 3 साल की तय की गई है।