नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। आपको बता दें कि नागरिकता संसोधन बिल विधेयक (सीएबी) को बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वीकृति दे दी है। इस संसोधन बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। लेकिन इस बिल में कहीं भी मुस्लिम समुदाय के लिए नागरिकता देने की बात नहीं कही गई है, जिसको लेकर विपक्ष हंगामा कर रहा है।
असुदद्दीन औवेसी अक्सर धार्मिक बयानो को लेकर चर्चा में बने रहते हैं। हाल ही में जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मंदिर पर रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया था तब भी ओवैसी ने फैसले का विरोध किया था और कहा था कि फैसला तथ्यों पर नही बल्कि एक धर्म की आस्था पर किया गया है। वहीं अब उन्होने नागरिकता संसोधन बिल पर भी ऐतराज जताया है। उन्होने कहा कि सरकार की मंशा गलत है, सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक बिल लाकर हिंदुस्तान को एक धर्म आधारित देश बनाना चाहती है। अगर ये बिल लागू हो गया तो फिर हिंदुस्तान और इसराइल में कोई फर्क नहीं रह जायेगा।
ओवैसी का कहना है कि संविधान में धर्म के आधार पर नागरिकता देने की कोई बात ही नहीं कही गयी है फिर भी केन्द्र सरकार ऐसा कर रही है। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देना हमारे संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। उनका कहना है कि इस तरह का कानून बनाने के बाद पूरी दुनिया हमारा मजाक उड़ायेगी। भाजपा सरकार हिंदुस्तान के मुसलमानों को संदेश देना चाहती है कि आप अव्वल दर्जे के शहरी नहीं हैं बल्कि दूसरे दर्जे के शहरी हैं। ये बिल हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए अपमानजनक होगा।