लखनऊ। यूपीपीसीएल में हुए पीएफ घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू को हर दिन नए साक्ष्य मिल रहे हैं। दर्जनों फाइले खंगालने के बाद पूर्व एमडी एपी मिश्र की भूमिका भी उजागर हो गयी। जांच में सामने आया कि सब कुछ जानते हुए भी उन्होंने सूची से बाहर पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस लि. में 18 करोड़ रुपये का सबसे पहले निवेश किया था।
इसके बाद ही डीएचएफएल में निवेश हुआ, फिर आगे भी ऐसा ही किया जाता रहा। वहीं, ईओडब्ल्यू की मेरठ इकाई ने जांच में पाया कि मेरठ, गाजियाबाद और नोएडा की पांच शेयर ब्रोकर फर्म फर्जी है। इसके साथ ही तफ्तीश में सामने आया कि इनके बैंक खाते, नाम—पते गारंटर सब फर्जी हैं।
पीएफ घोटाले में एपी मिश्रा की भूमिका उजागर होने के बाद उनकी गिरफ्तारी की गयी।ईओडब्ल्यू के एक अधिकारी ने बताया कि प्रस्ताव बिना पास कराये ही पूर्व एमडी एपी मिश्र ने ऐसा किया था। उस समय विभाग में उनका बोलबाला था लिहाजा किसी ने विरोध नहीं किया। तत्कालीन सीएमडी संजय अग्रवाल के सामने भी यह फाइल नहीं गई थी।
हालांकि, जब इस बारे में पता चला था तो उन्होंने इसे रोकने के लिये कोई कदम क्यों नहीं उठाया अथवा उन्हें किसी दबाव में कोई भी कार्रवाई न करने के लिये कहा गया था? इस बारे में पता करने के लिये ही संजय अग्रवाल से पूछा जायेगा। उधर, पीएफ का पैसा जिन 14 ब्रोकर फर्मों के जरिए निजी कंपनी दीवान हाउसिंह फाइनेंस लि. (डीएचएफएल) में निवेश किया गया, वे सभी वेस्ट यूपी और दिल्ली एनसीआर की हैं। इनमें से पांच फर्मोे की जांच पूरी हो चुकी है।