लखनऊ। यूपीपीसीएल में हुए पीएफ घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू के हाथों में हैं। घोटाला उजागर होते ही प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच कराने का दावा किया था लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी जांच नहीं शुरू हो सकी। वहीं, घोटाले में शामिल कई जिम्मेदारों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। हालांकि, ईओडब्ल्यू आईएएस अधिकारियों पर कार्रवाई से बच रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आईएएस अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है, जिसके कारण प्रदेश सरकार सीबीआई जांच कराने से बच रही है।
वहीं, अभी तक तत्कालीन सीएमडी यूपीपीसीएल और प्रमुख सचिव ऊर्जा आईएएस संजय अग्रवाल और पावर कारपोरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष आईएएस आलोक कुमार से पूछताछ हुई है। पूछताछ की खानापूर्ति के बाद अभी तक इन पर कार्रवाई नहीं हो सकी है। सूत्रों की माने तो आईएएस अधिकारियों की लॉबी सीबीआई जांच को रोकने की पूरी कोशिश में जुटी है, जिसके कारण अभी तक ईओडब्ल्यू ही इसकी जांच कर रही है।
बता दें कि, यूपीपीसीएल कर्मियों के पीएफ का पैसा जब दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में निवेश करने का निर्णय लिया गया, उसमें बतौर चेयरमैन संजय अग्रवाल (आईएएस), एमडी एपी मिश्रा, निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी, निदेशक कार्मिक प्रबंधन एवं प्रशासन सत्य प्रकाश पाण्डेय और सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता शामिल थे। इसमें जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने एपी मिश्रा समेत दर्जन भर लोगों को जेल भेज दिया है। हालांकि तत्कालीन चेयरमैन आईएएस अफसर संजय अग्रवाल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
वहीं, जब यह घोटाला उजागर हुआ तब एमडी के पद पर तैनात रहीं आईएएस अधिकारी अपर्णा यू और चैयरमैन आईएएस अफसर आलोक कुमार का केवल स्थानांतरण और पूछताछ की खानापूर्ति की गयी। सूत्रों की माने तो आईएएस अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है, जिसके कारण उन पर कार्रवाई करने से ईओडब्ल्यू कतरा रही है।
सीबीआई जांच में IAS अधिकारियों का अड़ंगा
सूत्रों की मोन तो सीबीाआई जांच किये जाने का आईएएस अधिकारियों की लॉबी विरोध कर रही है, जिसके कारण वह अभी तक सरकार ने सीबीआई जांच कराने की पैरवी नहीं कर रही है। वहीं, सरकार ने घोटाला उजागर होने के बाद आईएएस अधिकारियों का स्थानांतरण कर दिया गया था। हालांकि, तत्कालीन चेयरमैन आईएएस अफसर संजय अग्रवाल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जब यह घोटाला उजागर हुआ तब एमडी के पद पर तैनात रहीं आईएएस अधिकारी अपर्णा यू और चैयरमैन आईएएस अफसर आलोक कुमार का केवल स्थानांतरण कर दिया गया।