लखनऊ। यूपीपीसीएल में हुए पीएफ घोटाले में जांच कर रही ईओडब्ल्यू की टीम ने घोटाले में शामिल लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईओडब्ल्यू की टीम ने लंबी पूछताछ के बाद ट्रस्ट के सचिव रहे पीके गुप्ता के बेटे अभिनव और फर्जी फर्म संचालक को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि अभिनव के कहने पर ही आशीष की फर्म का इस्तेमाल हुआ था जिसके बदले में 60 लाख रुपये दिए गए थे।
दोनों पर घोटाले के आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप है। बिजलीकर्मियों के भविष्य निधि घोटाले में अब तक ईओडब्ल्यू पांच आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। ईओडब्ल्यू ने डीएचएफएल से मिले बैंक ट्रांजेक्शन की डिटेल खंगालनी शुरू की तो अभिनव गुप्ता की के खिलाफ कई अहम साक्ष्य मिले। सूत्रों का कहना है कि अभिनव से पूछताछ में सामने आए तथ्यों के बाद ईओडब्ल्यू ने गाजियाबाद निवासी आशीष चौधरी पर शिकंजा कसा।
ईओडब्ल्यू ने अब तक जिन नौ फर्जी फर्मों को चिह्नित किया है, उनमें एक इनफो लाइन का संचालक आशीष है। आशीष ने नोएडा के एक पते पर अपनी फर्म का रजिस्ट्रेशन कराया था। डीएचएफएल के जरिये आशीष को करीब 12 करोड़ रुपये बतौर कमीशन दिए गए थे। आशीष की फर्म के खाते में गई रकम पर टीडीएस भी कटा था। जांच में सामने आया कि आशीष को इस रकम से करीब 60 लाख रुपये मिले थे, जबकि शेष रकम को अभिनव गुप्ता द्वारा बताए गए कुछ खातों में ट्रांसफर कर दी थी।
आशीष ने उसके हिस्से में आये 60 लाख रुपये से एक दुकान भी खरीदी थी। सूत्रों ने बताया कि अब तक की जांच में डीएचएफएल द्वारा ब्रोकर फर्मों को 60 से 65 करोड़ रुपये दिये जाने की बात सामने आ चुकी है। यह रकम अलग-अलग किस्तों में 14 खातों में भेजी गई थी। जांच एजेंसी अब इन सभी खातों व उनके संचालकों की और गहनता से छानबीन में जुट गई है। आशंका है कि कमीशन की और रकम का ट्रांजेक्शन अन्य खातों में भी हुआ है।