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Pitru Paksha 2022: श्राद्ध में पिंडदान पितृ को प्राप्त होता है, पितरों की आत्मा को मिलती है शांति

सनातन धर्म पितरों को याद करने के लिए  तर्पण और पिंडदान किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि पितरों के निमित्त किया गया पिंडदान  उनको प्राप्त होता है। पितरों को पिंडदान करने की परंपरा परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Pitru Paksha 2022: सनातन धर्म पितरों को याद करने के लिए  तर्पण और पिंडदान किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि पितरों के निमित्त किया गया पिंडदान  उनको प्राप्त होता है। पितरों को पिंडदान करने की परंपरा परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। पितृ पक्ष प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। पूर्वजों को याद करने के लिए पूरे साल भर में 15 दिन ऐसे होते हैं जिसे श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष के के रूप में मनाया जाता है।

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शास्त्रों के अनुसार,नाम.गोत्र के सहारे विश्वेदेव एवं अग्निष्वात्त आदि दिव्य पितर मनुष्यों द्वारा दिए गए हव्य-कव्य को पितरों तक पहुंचा देते हैं। यदि पितृ देवयोनि में गया है तो दिया गया अन्न उसे वहां अमृत होकर प्राप्त हो जाता है। मनुष्ययोनि में गया है तो अन्न रूप में पशु योनि में गया है तो तृण के रूप में उसे पदार्थों की प्राप्ति हो जाती है।

इस दिन बनाए गए सादे भोजन को सबसे पहले जिन पितरों का श्राद्ध किया जा रहा है उनके नाम से भोजन निकालकर दक्षिण दिशा में रख दें।
साथ ही गाय, कौवा, चिड़िया, चींटी और ब्राह्मण आदि के लिए भी भोजन निकाले। इसके बाद मृत परिजनों के नाम से दान जरूर करें।

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