हिंदू धर्म में पितरों पितृ पक्ष (Pitru Pakhsha) का बहुत अधिक महत्व है। सनातन धर्म में दिवंगत आत्माओं के शान्ति के लिए और उन्हें दिव्यता प्रदान करने के लिए खास पूजा का विधान है।
Pitru Paksha 2023 : हिंदू धर्म में पितरों पितृ पक्ष (Pitru Pakhsha) का बहुत अधिक महत्व है। सनातन धर्म में दिवंगत आत्माओं के शान्ति के लिए और उन्हें दिव्यता प्रदान करने के लिए खास पूजा का विधान है। पौराणिक ग्रंथ गरुण पुराण में मृत्त आत्माओं शान्ति के लिए उपाय बताए गए है। गरुण पुराण में पितरों को मोक्ष मिल सके इसके बारे में उपाय बताये गए है। पितरों को खुश रखने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए उपायों को करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है। पितृपक्ष की अवधि में पितरों की तिथि के दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान (Pinddan) करने विधान है।
पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्र पद माह के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा से होती है और आश्विन माह के कृष्ण पक्ष अमावस्या तक रहती है। आइए जानते हैं इस वर्ष कब शुरु हो रहा है पितृ पक्ष और कैसे किया जाता है पिंडदान।
इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर शुक्रवार से होगी। इस दिन पूर्णिमा और प्रतिपदा श्राद्ध का दिन है। 14 अक्टूबर शनिवार को पितृ पक्ष का समापन होगा। पंचांग के अनुसार 29 सितंबर शुक्रवार को दोपहर 3 बजकर 26 मिनट तक भाद्रपद पूर्णिमा है। इसके बाद आश्विन माह के कृष्णपक्ष की पहली तिथि शुरू हो जाएगी।
पिंडदान मृत पूर्वजों के लिए एक प्रसाद स्वरूप होता है। इसे मुख्य रूप से पके हुए चावल को काले तिल के साथ मिलाकर बनाया जाता है। इस मिश्रण के छोटे-छोटे पिंड या गोले बनाकर मंत्रों के साथ पूर्वजों के नाम से चढ़ाया जाता है जिससे पितरों को शांति और मोक्ष मिल सके।
पितृ पक्ष 16 दिनों तक चलता है इसमें कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे किसी भी अनुष्ठान की मनाही होती है।