नई दिल्ली। गुरुवार को रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अगर वह मंत्री न होते, तो एयर इंडिया को खरीदने के लिए बोली लगा रहे होते। गोयल गुरुवार को दावोस में विश्व आर्थिक सम्मेलन (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) में पहुंचे थे। एयर इंडिया लंबे समय से घाटा झेल रही है और सरकार अब इसे बेचने की रूपरेखा को अंतिम रूप दे रही है।
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया- गोयल
गोयल ने कहा कि सत्ता में आने के बाद हमने सुधार के कई काम किए और अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाया। अगर उस समय इन सरकारी उपक्रमों का विनिवेश किया जाता तो इसकी सही कीमत नहीं मिल पाती।
सोने की खान बन सकती है एयर इंडिया
इसी दौरान एयर इंडिया के विनिवेश को लेकर उन्होंने कहा कि अगर मैं मंत्री नहीं होता तो मैं एयर इंडिया के लिए बोली लगा रहा होता। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया की बाइलैटरल सर्विस अग्रीमेंट बहुत अच्छी है। अगर इसमें नए एयरक्रॉफ्ट को शामिल किया जाता है और मैनेजमेंट को ज्यादा कुशल बनाया जाए तो यह सोने की खान की तरह है।
क्या होता है एयर बाइलैटरल सर्विस अग्रीमेंट?
जानकारी के लिए बता दें कि बाइलैटरल एयर सर्विस में दो देशों के बीच एक समझौता होतै है, जिसके अंतर्गत दोनों देश एक दूसरे की एयरलाइन्स को निश्चित सीट संख्या के साथ उड़ान की इजाजत देते हैं।
विनिवेश की प्रक्रिया तेज हुई
सूत्रों के हवाले से खबर है कि विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एयर इंडिया मैनेजमेंट को कहा कि वह एक इंटर्नल मेकनिजम कमिटी का गठन करे, जिसमें मैनेजमेंट और ट्रेड यूनियन के लोग शामिल होंगे। यह कमेटी एयर इंडिया के निजीकरण को लेकर कर्मचारियों की समस्याओं को सुलझाएगी। पुरी ने एयरलाइन कर्मचारियों को भरोसा दिया कि उनको हक का एक-एक रुपया मिलेगा।