
नई दिल्ली। नीरव मोदी घोटाले के बाद अब पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) पर खतरे की घंटी बजती नजर आ रही है। 31 मार्च तक अगर सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने पीएनबी की मदद नहीं की तो इसे देश का पहला डिफॉल्टर बैंक घोषित कर दिया जाएगा।
खराब निर्णय से रिजर्व बैंक की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है
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पी.एन.बी. घोटाले में पहली बार किसी वरिष्ठ अधिकारी ने सीधे आर.बी.आई. के गवर्नर उर्जित पटेल पर निशाना साधा है। सोमवार को केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम ने कहा कि किसी केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता सिर्फ कानून से नहीं हासिल हो सकती, बल्कि यह कार्रवाई और अच्छे निर्णय से आती है। उन्होंने कहा कि लगातार हो रहे खराब निर्णय से रिजर्व बैंक की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है।
इस वजह से पीएनबी घोषित हो सकता है डिफॉल्टर
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पीएनबी द्वारा जारी किए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के आधार पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) ने करीब 1000 करोड़ रुपये का लोन दिया था। अगर पीएनबी इस पैसे को 31 मार्च तक वापस नहीं कर पाता है तो फिर मजबूरन यूबीआई को इसे डिफॉल्टर घोषित करना पड़ेगा और पूरी रकम को एनपीए के तौर पर अकाउंट बुक्स में दिखाना होगा।