लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में यूपी के कई जिलों हुई में हिंसा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की भूमिका सामने आई है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में अब इस संगठन पर प्रतिबंध लगना तय है। सीएए के विरोध में प्रदेश में फैली हिंसा के बाद प्रदेश सरकार ने पीएफआई की भूमिका को लेकर जांच करने का निर्देश दिया है।
पुलिस का कहना है कि उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की भूमिका संदिग्ध है। प्रतिबंधित संगठन सिमी के लोग पीएफआई नाम के संगठन में शामिल हैं। इन लोगों ने पूरी प्लानिंग के साथ लोगों को हिंसा करने के लिए उकसाया है। पुलिस का कहना है कि सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद पीएफआई को खड़ा किया गया। इस संगठन के तीन लोगों को लखनऊ में गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से आपत्तिजनक वस्तुएं मिली हैं।
प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर डेढ़ दर्जन से अधिक जिलों में हिंसा के बाद पुलिस लगातार जांच कर रही है। अब तक की जांच में पीएफआई की सक्रिय भूमिका सामने आ गई है। इसके बाद ताबड़तोड़ छापापारी में अलग-अलग जिलों से दर्जन भर से अधिक पीएफआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। पीएफआई में अब वह लोग सक्रिय हो गए हैं, जो सिमी के प्रतिबंधित होने के बाद फिर से सक्रिय होने को पीएफआई के लिए काम कर रहे हैं।
पुलिस का दावा है कि पीएफआई खुद को एक ऐसे संगठन के तौर पर प्रदर्शित करता है, जो लोगों को उनका हक दिलाने और सामाजिक हितों के लिए काम करता है। आरोप यह भी है कि पीएफआई पहले भी कई तरह की गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल रहा है। वर्तमान में पीएफआई की पहुंच 13 राज्यों में है। कई मुस्लिम संगठन इससे सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। इस संगठन के सक्रिय सदस्यों की संख्या हजारों में पहुंच चुकी है। लखनऊ समेत यूपी में हुई हिंसा में अब तक की जांच में पता चला है कि पीएफआई से जुड़े लोगों ने सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सऐप पर भड़काऊ मैसेजेस भेजकर लोगों को उकसाने का काम किया।