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कोरोना पर संसद का विशेष सत्र बुलाएं राष्ट्रपति, कांग्रेस पार्टी ने लिखा पत्र

देश में जारी कोरोना महामारी के जारी तांडव की कांग्रेस पार्टी ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। सोमवार को कांग्रेस पार्टी ने देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर कोरोना संकट पर संसद का विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश में जारी कोरोना महामारी के जारी तांडव की कांग्रेस पार्टी ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। सोमवार को कांग्रेस पार्टी ने देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर कोरोना संकट पर संसद का विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया है।

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उन्होंने पत्र में लिखा कि राष्ट्रपति महोदय देश में कोरोना महामारी से स्थिति बहुत खराब हो गई है इसलिए मैं इस संकट की घड़ी में विशेष सत्र बुलाने की मांग करता हूं। उन्होंने कहा कि सत्र बुलाने के बाद सभी सांसदों से उनके लोकसभा क्षेत्र की जानकारी ली जाए ताकि जल्द से जल्द उस जगह पर सहायता पहुंचाई जा सके। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश में कोरोना महामारी की गंभीर स्थिति को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि उसने जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ कर टीकाकरण का काम राज्यों पर छोड़ दिया है।

श्रीमती गांधी ने एक माह के भीतर दूसरी बार सोमवार को यहां वर्चुअल माध्यम से बुलाई गई पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कांग्रेस कार्य समिति की बैठक को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने टीकाकरण की अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया है और उसने यह काम राज्यों के मत्थे मढ़ दिया है।

उन्होंने कहा कि संकट इस दौर में सभी लोगों का तेजी से टीकाकरण कराने की जरूरत है और केंद्र सरकार को सभी को निशुल्क वैक्सीन मुहैया करानी चाहिए। उनका कहना था कि केंद्र द्वारा सभी को निशुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराना आर्थिक रूप से भी न्यायोचित होगा।

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श्रीमती गांधी ने कहा कि कोरोना की स्थिति लगातार भयावह हो रही है। सरकार इसे नियंत्रित करने में नाकाम हो गई है और उसकी विफलताएं देश के लिए संकट बन गई है। उसकी इस विफलता का परिणाम है कि देश भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त हो गई है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अपनी जिम्मेदारी के निर्वहन से मुंह मोड़ लिया है। उसकी प्राथमिकताएं देश की जनता नहीं रह गई है। कोरोना की स्थिति से निपटने के लिए उसे सुझावों को नजरंदाज करने की बजाय सभी राजनीतिक दलों की राय लेनी चाहिए।

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