नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्य मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के नियमों का पालन नहीं करने वाले राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने की चेतावनी दी है। केंद्र सरकार का साफ तौर पर कहना है कि राज्य सरकारों को जुर्माने की राशि कटौती करने का कोई अधिकार नहीं है। अगर राज्य सरकारें जुर्माने की राशि घटाती हैं तो इसे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन मानते हुए केंद्र सरकार वहां राष्ट्रपति शासन भी लगा सकती है।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार के कानून को दरकिनार कर जुर्माना कम करने वाले राज्यों में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो सकता है। कानून मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोई राज्य केंद्र के इस दिशा-निर्देश का पालन नहीं करता है तो वह संविधान के अनुच्छेद 356 के दायरे में आ सकता है। और इसी आधार पर उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
सड़क सुरक्षा के लिए बढ़ाया गया था जुर्माना
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि सड़क पर कानून तोड़ने वालों के लिए जो जुर्माने में भारी बढ़ोतरी की गई थी, उसका उद्देश्य सरकारी खजाना भरना नहीं बल्कि सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देना है। राज्य सरकार चाहे तो केंद्र द्वारा तय किये गए जुर्माने को बढ़ा सकती है, घटाने का अधिकार उसे नहीं है।
सात राज्यों ने घटा दिया है जुर्माना
केंद्र सरकार ने मोटर वाहन कानून 2019 से जुड़े नियमों को बीते नौ अगस्त को राजपत्र में प्रकाशित किया था। उसके बाद एक सितंबर 2019 से जुर्माने के प्रावधानों को पूरे देश में लागू किया गया था। तदोपरांत, उत्तराखंड, गुजरात, कर्नाटक, झारखंड, केरल, असम और मणिपुर ने अधिसूचना के जरिये जुर्माने की राशि को घटा दिया था।