1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. प्रो. पीके मिश्रा का इस्तीफा, तो विनय पाठक पर गंभीर आरोपों के बाद राजभवन की ‘मेहरबानी’ का क्या है ‘राज’?

प्रो. पीके मिश्रा का इस्तीफा, तो विनय पाठक पर गंभीर आरोपों के बाद राजभवन की ‘मेहरबानी’ का क्या है ‘राज’?

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) लखनऊ के कुलपति प्रो. पीके मिश्रा के खिलाफ उनके कार्यकाल में अनियमितता व अन्य गड़बड़ियों की पिछले दिनों राज्यपाल को शिकायतें मिली थीं। इसमें आईईटी के पूर्व निदेशक प्रो. विनीत कंसल व एकेटीयू के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रो. अनुराग त्रिपाठी ने भी विस्तृत जानकारी राजभवन को दी थी। जिसकी प्राथमिक जांच के लिए राज्यपाल ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की एक जांच कमेटी का गठन किया था। आरोप है कि प्रो. मिश्रा व रजिस्ट्रार ने इसमें सहयोग नहीं किया और आवश्यक दस्तावेज भी जांच समिति को नहीं दिए।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) लखनऊ के कुलपति प्रो. पीके मिश्रा के खिलाफ उनके कार्यकाल में अनियमितता व अन्य गड़बड़ियों की पिछले दिनों राज्यपाल को शिकायतें मिली थीं। इसमें आईईटी के पूर्व निदेशक प्रो. विनीत कंसल व एकेटीयू के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रो. अनुराग त्रिपाठी ने भी विस्तृत जानकारी राजभवन को दी थी। जिसकी प्राथमिक जांच के लिए राज्यपाल ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की एक जांच कमेटी का गठन किया था। आरोप है कि प्रो. मिश्रा व रजिस्ट्रार ने इसमें सहयोग नहीं किया और आवश्यक दस्तावेज भी जांच समिति को नहीं दिए।

पढ़ें :- कोर्ट में  ED ,बोली- अरविंद केजरीवाल तबीयत खराब कर हेल्थ ग्राउंड पर बेल लेने की कर रहे हैं कोशिश

इसके बाद राजभवन ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के कुलपति पद से कार्य विरत कर दिया। इसके साथ ही प्रो. मिश्रा को डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय से संबद्ध कर दिया। साथ ही एकेटीयू (AKTU)  के कुलपति का कार्यभार लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय को दिया गया था। इसके बाद कुलपति प्रो. पीके मिश्रा ने बीते मंगलवार को कुलपति पद से त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को अपना इस्तीफा भेजा, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार भी कर लिया है।

बता दें कि इस मामले में कानपुर व गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अशोक कुमार सवाल उठाया कि ‘अनियमितता की शिकायत पर एक विवि के कुलपति का काम छीन लिया जाता है और भ्रष्टाचार के मुकदमें के वाद भी कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति अपने पद पर बने हुए हैं। कार्रवाई में यह भेदभाव मंशा व प्रक्रिया दोनों पर ही सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में विवि परिसर कैसे भ्रष्टाचारमुक्त होंगे ?’

प्रो. अशोक कुमार ने कहा कि रंगदारी वसूली, भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोपों में सीबीआई जांच झेल रहे छत्रपति शाहू जी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक पर बरती जा रही ‘मेहरबानी’ का ‘राज’ क्या है, यह शिक्षा से लेकर सियासी परिसरों तक सबसे चर्चित सवाल बना हुआ है।

पूर्व कुलपति कहते हैं कि पिछले डेढ़दशक में यूपी में शायद ही कोई ऐसा मामला आया हो, जिसमें किसी कुलपति के पद पर रहते हुए इतने गंभीर धाराओं में मुकदमें हो और इसकी जांच सीबीआई को दी गई हो। उन्होंने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि जब तक मामले की जांच एसटीएफ कर रही थी, विनय पाठक विवि परिसर नहीं आ रहे थे। एसटीएफ की जांच में भी हाजिर नहीं हुए और जांच सीबीआई के हाथ में जाते ही उन्होंने कामकाज संभाल लिया।

पढ़ें :- रालोद चीफ जयंत चौधरी रोड शो के दौरान जख्मी, रथ के एंगल में फंसकर लहूलुहान हुआ का हाथ

प्रो. विनय पाठक पर आगरा विवि के कुलपति रहते हुए परीक्षा का काम देने के नाम पर कमीशन मांगने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने, धोखाधड़ी आदि की धाराओं में 29 अक्टूबर 2022 को लखनऊ के इंदिरानगर थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी। एसटीएफ इस मामले की जांच कर रही थी और उसने जांच के दायरे में पाठक के एकेटीयू के कुलपति रहने के दौरान लगे आरोपों को भी ले लिया था। एसटीएफ की सक्रियता के बीच यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। 6 जनवरी से सीबीआई इसकी जांच कर रही है। जांच के बीच पाठक पद पर बने हैं जबकि राजभवन ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।

प्रो. पीके मिश्रा ने  विनय पाठक के खिलाफ बनाई जांच कमेटी तो गंवानी पड़ी कुर्सी

हटाए जाने से पहले एकेटीयू के कुलपति प्रो. पीके मिश्र ने रिटायर्ड जज की अगुआई में कमेटी बनाई थी। कमेटी को पीएमओ व यूजीसी तक पाठक के खिलाफ पहुंची शिकायत की जांच करनी है, जिसमें भर्ती में गड़बड़ी, पीएनबी हाउसिंग में 1700 करोड़ रुपये के गलत निवेश, परीक्षा के गोपनीय कार्यों में 100 करोड़ रुपये के गलत निवेश, 300 करोड़ रुपये के फर्जी भुगतान, गोल्ड बॉन्ड में निवेश, फर्जी पीएचडी, नकल, फर्जी विनियमितीकरण, प्रफेसरों के पदों पर फर्जी नियुक्ति और निर्माण कार्यों में फर्जी भुगतान के आरोप शामिल हैं।

 

 

पढ़ें :- Lok Sabha Election 2024 : कैसरगंज सीट से दावेदारी पर बृजभूषण शरण सिंह, बोले - ' होइहि सोइ जो राम रचि राखा...'

 

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...