सनातन धर्म में भगवान श्री हरि की कृपा पाने के लिए एकादशी व्रत के नियम का पालन किया जाता है। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि एकादशी व्रत रखने से भक्त पर भगवान विष्णु की कृपा बरसती है।
Putrada Ekadashi fast 2023 : सनातन धर्म में भगवान श्री हरि की कृपा पाने के लिए एकादशी व्रत के नियम का पालन किया जाता है। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि एकादशी व्रत रखने से भक्त पर भगवान विष्णु की कृपा बरसती है। सावन के महीने में शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है उसे पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) कहा जाता है। ये तिथि साल में 2 बार आती है। एक बार सावन (Sawan 2023) के महीने में, दूसरी बार पौष के महीने में।
बड़ी संख्या में श्रद्धालु ये व्रत रखते हैं
इस बार सावन के महीने में ये तिथि 26 अगस्त रात 12:08 बजे से शुरू होगी और अगले दिन यानी 27 अगस्त को 09:32 मिनट पर ये खत्म हो जाएगी। क्योंकि इस बार ये उदया तिथि 2 होने की वजह से पड़ रही है इसलिए व्रत 26 की जगह 27 अगस्त यानी रविवार को रखा जाएगा। भारत में बड़ी संख्या में श्रद्धालु ये व्रत रखते हैं।
भगवान विष्णु शीघ्र ही प्रसन्न होते है
‘पुत्रदा एकादशी’ एकादशी के व्रत में विष्णु नाम-मंत्रों का उच्चारण करके फलों के द्वारा श्रीहरि का पूजन किया जाता है। इस व्रत में नारियल के फल, सुपारी, बिजौरा नींबू, जमीरा नींबू, अनार, सुन्दर आंवला, लौंग, बेर तथा विशेषता: आम के फलों से देवदेवेश्वर श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए । इसी प्रकार धूप दीप से भी भगवान की अर्चना करने से भगवान विष्णु शीघ्र ही प्रसन्न होते है।
पापों को हरने वाली उत्तम तिथि है
‘पुत्रदा एकादशी’ को विशेष रूप से दीप दान करने का विधान है । रात को वैष्णव पुरुषों के साथ जागरण करना चाहिए । जागरण करने वाले को जिस फल की प्राप्ति होती है, वह हजारों वर्ष तक तपस्या करने से भी नहीं मिलता । यह सब पापों को हरने वाली उत्तम तिथि है ।