सोशल मीडिया पर बीते दिनों एक हैश टैग ट्रेंडिंग पर रहा,’हलाल’ नाम से ट्रेंड हुये हैश टैग को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स ने तरह तरह की प्रक्रिया दी। इस बीच हलाल सर्टिफिकेट को बाबा रामदेव की कंपनी ‘पतंजलि’
को लेकर भी कई सवाल खड़े किए गए। आपको बता दें कि आम तौर पर ‘हलाल’ शब्द मांस वगैरह के सन्दर्भ में इस्तेमाल किया जाता रहा है। हालांकि इसका मतलब सिर्फ मांस तक सीमित नहीं है बल्कि इसका पूरा माजरा इन सबसे अलग है।
अरब देशों में हलाल सर्टिफिकेट सभी खाद्य वस्तुओं और दवाई आदि अन्य वस्तुओं के विक्रय पर अनिवार्य है। शरिया के अनुसार जो चीजें मुस्लिमों को खाने की अनुमति है, वो सब भी हलाल के अंतर्गत आती हैं, चाहे शाकाहारी हों या मांसाहारी। यानी शाकाहार भी हलाल हो सकता है। हालांकि इस मामले ने सोशल मीडिया पर तूल पकड़ लिया और पतंजलि के हलाल सर्टिफिकेट लेने पर बवाल शुरू हो गया।
एक हलाल एजेंसी द्वारा कतर में पतंजली प्रोडक्ट्स को हलाल सर्टिफाइड किया गया। इससे कतर से पतंजली को बड़ा बिजनेस मिला। आपको बता दें कि भारत में हलाल प्रोडक्ट एक्सपोर्ट करने वाली अधिकतर कंपनीज़ गैर मुसलमानों की हैं।
क्या है हलाल-
‘हलाल’ एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है कानून सम्मत। इस शब्द का इस्तेमाल खाने-पीने की चीज़ों, मीट प्रोडक्ट्स, कॉस्मेटिक्स, दवाइयां, खाने में पड़ने वाली चीज़ों- सब पर लागू होता है।
ये होता है हलाल सर्टिफिकेट-
हलाल सर्टिफिकेट के लिए सबसे पहले ये देखा जाता है कि उसके पास FSSAI का लाइसेंस है या नहीं। उसके बाद कंपनी की डीटेल्स ऑडिट टीम को बढ़ाई जाती हैं। इसके बाद टीम वापस आकर रिपोर्ट जमा करती है। सब कुछ संतोषजनक होने के बाद ही सर्टिफिकेट दिया जाता है। इस पूरी सर्विस के लिए फीस ली जाती है। सर्टिफिकेशन का कोई चार्ज नहीं होता।