नई दिल्ली। अयोध्या केस में मुस्लिम पक्ष के वकील रहे राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने विवादित बयान दिया है। धवन ने कहा कि देश में शांति बिगाड़ने का काम मुलसमान (Muslim) नहीं हिंदू (Hindu) करते हैं। हालांकि बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनके इस बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया।
वहीं राजीव धवन का कहना है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। अपने बयान पर सफाई देते हुए राजीव धवन ने कहा कि, ‘यह टीवी द्वारा की गई शरारत है। मैं जब हिंदुओं की बात करता हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं सभी हिंदुओं की बात कर रहा हूं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘जब बाबरी मस्जिद मामले में हिंदू शब्द का इस्तेमाल होता है तो इसका मतलब संघ परिवार होता है। मैंने कोर्ट में कहा था कि जिन्होंने बाबरी मस्जिद ढहाया वे लोग हिंदू तालिबान हैं। मैं संघ परिवार के उन वर्गों की बात कर रहा हूं जो हिंसा और लिंचिंग जैसी चीजों के लिए समर्पित हैं’।
रिव्यू पिटीशन अधिकार
राजीव धवन ने कहा कि रिव्यू सुन्नी वक्फ बोर्ड की पसंद है। मैं रिव्यू को लेकर एक सलाह देना चाहूंगा कि फैसले के बिना शांति नहीं हो सकती। और मुस्लिम पक्षों की ओर से अभी भी यह नहीं बताया गया कि उन्हें इस फैसले में क्या-क्या आपत्तियां हैं। यह फैसला कामयाब होगा या नहीं, लेकिन रिव्यू एक अधिकार है और इस बताएगा कि फैसले में मौलिक रूप से क्या गलत है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राजीव धवन ने कहा कि फैसले के बाद शांति व्यवस्था बनाए रखना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 142 पूर्ण न्याय की बात करता है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करने की थी कि पूरा न्याय किया जाए, जो कि यहां नहीं हुआ।
राजीव धवन ने कहा, ‘मैं नहीं समझता कि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को सुरक्षा बनाए रखने वाली एजेंसियों के साथ बंद दरवाजे के पीछे बात करनी चाहिए थी। यह कोर्ट के पर्दे के पीछे नहीं किया जा सकता। यह एक सरल सा सवाल था कि उन्हें एक फैसला सुनाना था और इसका किसी भी कीमत पर पालन करवाना था।
सीजेआई और जस्टिस अशोक भूषण का राजनेताओं और पुलिस के साथ कोई संबंध नहीं है, यह उनका अधिकार क्षेत्र भी नहीं है। हालांकि यह सब कुछ अयोध्या फैसले के समय हुआ। यह पूरी तरह से गलत था। फैसले खुले कोर्ट में होने चाहिए, बंद दरवाजे के पीछे इसे लागू नहीं करवाया जाना चाहिए।’
विवादों से पुराना नाता
बता दें कि राजीव धवन पहले भी विवादों में रहे हैं। 16 अक्टूबर को राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद केस की सुनवाई के आखिरी दिन हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने जन्मभूमि का नक्शा पेश किया जिसे तुरंत ही अगले पक्ष के वकील राजीव धवन ने फाड़ दिया था।