1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. Rakshabandhan special 2021: रक्षाबंधन पर प्रथम पूज्य देवता को बाधें राखी, हर संकट से होगी रक्षा

Rakshabandhan special 2021: रक्षाबंधन पर प्रथम पूज्य देवता को बाधें राखी, हर संकट से होगी रक्षा

रक्षाबंधन पर भाई के अलावा देवताओं को, वाहन, पालतू पशु, द्वार आदि कई जगहों पर राखी को बांधा जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि हमारी रक्षा के साथ ही सभी की रक्षा हो।

By अनूप कुमार 
Updated Date

रक्षाबंधन 2021: रक्षाबंधन (Rakshabandhan) भाई बहन के रिश्ते (relationship) का प्रसिद्ध त्योहार (famous festival) है, रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है। सदियों सें ऐसी परंपरा (centuries of tradition) अब तक चलती आ रही है कि, राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) को भी बाँधी जाती है। रक्षाबंधन पर भाई के अलावा देवताओं को, वाहन, पालतू पशु, द्वार ( gods, vehicles, pets, gates) आदि कई जगहों पर राखी को बांधा जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि हमारी रक्षा के साथ ही सभी की रक्षा हो (protect everyone) ।

पढ़ें :- Vaishakh Vrat Tyohar 2024 : आज से पवित्र माह वैशाख शुरू , जल दान के लिए अत्यन्त फलदायी माना गया है

श्रावणी पूर्णिमा की तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है। इस साल भाई-बहन का त्यौहार रक्षाबंधन 22 अगस्त, रविवार (Raksha Bandhan 2021) के दिन मनाया जाएगा। भाई बहन के इस त्योहार में बहनें अपने भाई की कलाई पर रेशम के डोर से बनी राखी को बांधती हैं। वहीं भाई उनकी ताउम्र रक्षा करने का वचन देता है। श्रावणी पूर्णिमा पर कहीं-कहीं पुरोहित ब्राह्मण व गुरु भी रक्षा-सूत्र बांधते हैं। रक्षासूत्र बांधते हुए वे एक मंत्र पढ़ते हैं।

रक्षासूत्र का मंत्र है-

‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।’

रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व

पढ़ें :- 24 अप्रैल 2024 का राशिफल : इन 5 राशियों पर गणेशजी की बरसेगी कृपा, धन-संपदा में होगी वृद्धि

पौराणिक कथा के अनुसार, देवासुर संग्राम में जाते समय इंद्र को उनकी पत्नी शची ने रक्षासूत्र बांधा था। एक अन्य पौराणिक कथा में रक्षाबंधन के बारे में कहा गया है कि एक बार बलि के आग्रह पर भगवान विष्णु ने उनके साथ रहना स्वीकार कर लिया है। इसके बाद लक्ष्मी वेश बदलकर बलि के पास गईं और उनकी कलाई पर राखी बांधी जिसके बदले में बलि ने उनसे मनचाहा उपहार मांगने को कहा। लक्ष्मी ने उपहार के रूप में भगवान विष्णु को मांग लिया।

देवताओं को बांधी जाती है राखी

गणपति : गणपति जी प्रथम पूज्य देवता हैं। किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य करने के पूर्व उन्हीं की पूजा करते हैं। इसीलिए सबसे पहले उन्हें ही राखी बांधी जाती है। गणपतिजी की बहनें अशोक सुंदरी, मनसा देवी और ज्योति हैं।

शिवजी : श्रावण माह शिवजी का माह है और इसी माह की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्योहार मनाते हैं। प्रचलित मान्यता अनुसार कहते हैं कि भगवान शिव की बहन असावरी देवी थीं।

हनुमानजी : हनुमानजी शिवजी के रुद्रावतार हैं। जब देव सो जाते हैं तो शिवजी भी कुछ समय बाद सो जाते हैं और वे रुद्रावतार रुप में सृष्‍टि का संचालन करते हैं। इसीलिए श्रावण माह में हनुमानजी की विशेष रूप से पूजा होती है। सभी संकटों से बचने के लिए हनुमानजी को राखी बांधते हैं।

पढ़ें :- Akshaya Tritiya 2024 : अक्षय तृतीया पर क्यों होती है मां लक्ष्मी की पूजा , करें ये उपाय

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...