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Ramadan Special: रमजान में खुले हैं जन्नत के दरवाजे, हर शख्स की होगी हर दुआ कबूल

मुसलमानों के लिए रमज़ान का महीना खास अहमियत रखता है। ऐसा माना जाता है कि इन्हीं दिनों पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब के ज़रिए अल्लाह की अहम किताब ‘कुरान शरीफ’ (नाजिल) ज़मीन पर उतरी थी। इसलिए मुसलमान ज्यादातर वक्त नमाज़ पढ़ने और कुरान पढ़ने में गुज़ारते हैं। 

By आराधना शर्मा 
Updated Date

लखनऊ:  साल के बारह महीनों में रमज़ान का महीना मुसलमानों के लिए बेहद खास होता है। रमज़ान के इस सबसे पाक महीने में हर आदमी संयम और समर्पण की भावना से पूरी तरह अल्लाह की इबादत करता है। माना जाता है कि रमज़ान के महीने में जन्नत के दरवाज़े खुल जाते हैं।

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अल्लाह रोज़ेदारों और इबादत करने वालों की हर दुआ कबूल करता है और इस पवित्र महीने में इंसान को उसके गुनाहों से माफ़ी मिलती है। मुसलमान रमजान के बाद ही ईद का त्योहार मनाते हैं तो आइए जानते हैं रमजान का महत्व –

क्या है रमज़ान का महत्व ?

मुसलमानों के लिए रमज़ान का महीना खास अहमियत रखता है। ऐसा माना जाता है कि इन्हीं दिनों पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब के ज़रिए अल्लाह की अहम किताब ‘कुरान शरीफ’ (नाजिल) ज़मीन पर उतरी थी। इसलिए मुसलमान ज्यादातर वक्त नमाज़ पढ़ने और कुरान पढ़ने में गुज़ारते हैं।

रमजान का महत्व-रोज़े की खास अहमियत

रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने के लिए सवेरे उठकर खाया जाता है, जिसे सेहरी कहते हैं। सुबह की सेहरी के बाद से सूरज ढ़लने तक भूखे-प्यासे रहते हैं। सूरज ढ़लने से पहले कुछ खाने या पीने से रोज़ा टूट जाता है।

शाम को सूरज ढ़लने पर इफ्तारी में खजूर खाकर या पानी पीकर रोज़ा खोलते हैं। कहा जाता है कि इफ्तार के वक्त सच्चे मन से जो भी दुआ मांगी जाती है वो कबूल होती है।

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वैसे तो रमज़ान में हर कोई रोज़ा रखता है लेकिन बच्चों, बुजुर्गों, मुसाफिरों, गर्भवती महिलाओं को रोज़े से छूट होती है। इसके अलावा बीमारी की हालत में भी रोज़ा रखने से छूट होती है।

रमजान का महत्व–गलतियों को सुधारने का मौका

रमज़ान के इस पवित्र महीने में सभी को अपनी गलतियों को सुधारने का मौका मिलता है। गलतियों से तौबा करने और अच्छाईओं के बदले बरकत पाने के लिए भी इस महीने इबादत का महत्व है।

रमजान का महत्व–ज़कात की बढ़ जाती है अहमियत

रमज़ान के महीने में ज़कात का महत्व खासा बढ़ जाता है। ज़कात का मतलब है अपनी कमाई का करीब ढ़ाई फीसदी गरीबों में बांटना। कहा जाता है कि ज़कात देने से आदमी के कारोबार और खुशियों में खुदा बरकत करता है।

ईद से पहले फितरा दिया जाता है, जिसमें परिवार का प्रत्येक इंसान ढ़ाई किलो के हिसाब से गेंहू या उसकी कीमत की रकम इकट्ठा कर उसे ज़रूरतमंदों में बांट देता है।

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रमजान का महत्व – चांद के दीदार के बाद ईद का जश्न

ईद के चांद के साथ रमजान का महीना पूरा होता है। ईद का मतलब ही है ‘खुशी का दिन’। मुसलमानों के लिए ईद-उल-फित्र का त्योहार अलग सी खुशी लेकर आता है। ईद के चांद के दीदार के साथ हर तरफ रौनक बढ़ जाती है और लोग एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाईयां देते हैं।

कहते हैं रमज़ान में की गई हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। यही वजह है कि रमज़ान के महीने में लोग रोज़ा रखकर हर वक्त अल्लाह की इबादत करते हैं ताकि अल्लाह उनके गुनाहों की माफी देकर उन्हे सदा आबाद और खुशहाल रखें।

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