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Ramgovind Chaudhary Jeevan Parichay: जेपी चंद्रशेखर का वो शिष्य जो आज भी थामें हुए है समाजवादी झंडा, नहीं हुए कभी अपनी विचारधारा से विमुख

Ramgovind Chaudhary Jeevan Parichay: इस लेख में हम बात करने वाले हैं उत्तर प्रदेश की वर्तमान योगी सरकार में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी की। रामगोविंद चौधरी इस समय के उत्तर प्रदेश के सोलहवीं विधानसभा में बलिया जिले के बांसडीह विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। विधायक होने के साथ—साथ ये नेता प्रतिपक्ष भी हैं। रामगोविंद चौधरी कुल आठवीं बार विधायक चुन कर के विधानसभा के सदस्य के रुप में मौजूद हैं।

By प्रिन्स राज 
Updated Date

Ramgovind Chaudhary Jeevan Parichay: इस लेख में हम बात करने वाले हैं उत्तर प्रदेश की वर्तमान योगी सरकार में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ( Ramgovind Chaudhary) की। रामगोविंद चौधरी इस समय के उत्तर प्रदेश के सतरहवीं विधानसभा में बलिया जिले के बांसडीह विधानसभा (Vidhan Sabha) से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। विधायक होने के साथ—साथ ये नेता प्रतिपक्ष भी हैं। रामगोविंद चौधरी कुल आठवीं बार विधायक चुन कर के विधानसभा के सदस्य के रुप में मौजूद हैं। पांच बार चिलकहर विधानसभा (ये बलिया जिले के ताजा विधानसभाओं के परिसीमन में मौजूद नहीं है। नये परिसीमन में इस विधानसभा का कुछ अंश रसड़ा विधानसभा और कुछ फेफना विधानसभा में चला गया है।) से और तीन बार बांसडीह विधानसभा से चुन कर ये सदन तक आये हैं।

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प्रारम्भिक जीवन

रामगोविंद चौधरी का जन्म 9 जुलाई 1953 में बलिया जिले में एक समान्य परिवार में हुआ। गोसाईपुर गांव में जन्में रामगोविंद ने प्राथमिक,माध्यमिक और उच्च शिक्षा अपने गांव के क्षेत्र के समान्य स्कूलों से प्राप्त की। इसके बाद स्नातक (Graduation) की पढ़ाई करने के लिए अपने जिले के मशहूर कॉलेज मुरली मनोहर टाउन डिग्री  कॉलेज में दाखिला ले लिया। यही से इनकी रुची राजनीति में बढ़ने लगी। और इन्होंने अपने राजनीति की शुरुआत छात्र राजनीति से कर दी। वो मुरली मनोहर टाउन डिग्री कॉलेज बलिया के महामंत्री और बाद में अध्यक्ष चुने गये। ये साल 1971—72 की बात है। 1975 में देश में उस वक्त की मौजूदा कांग्रेस सरकार की प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने देश में इमरजेंसी लगा दी।

जेपी व चंद्रशेखर के शिष्य

उस वक्त के नायक रहे जयप्रकाश नारायण और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नेतृत्व में चल रहे देशव्यापी आंदोलन में रामगोविंद ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सरकार की विरोध में जेल भी भेजे गये। 1977 में इमरजेंसी देश से हटा ली गई। 21 महीने तक तक आपातकाल (Emergency) में रहने के बाद देश में एक नई सुबह हुई। इस दौरान समाजवादी विचारधारा का आगाज भारत की राजनीति में हो रहा था। रामगोविंद 1977 में जनता पार्टी के टीकट से बलिया (Ballia)  जिले के चिलकहर विधानसभा से विधायक चुनकर पहली बार विधानसदन पहुंचे। ये पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की पार्टी समाजवादी जनता पार्टी से भी विधायक रहे।

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2002 में थामा समाजवादी दामन

साल 2002 में इन्होंने मुलायम सिं​ह यादव की नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। और जो साइकिल पर सवार हुए की आज तक ये साइकिल की पैडल ही मार रहे हैं। 2002 से शुरु हुआ इनका सफर 2021 तक बना हुआ है। 2014 में देश में भाजपा की एक लहर आई मोदी सरकार (Modi Sarkar) बनी। कई अन्य विचारधारा के व्यक्ति भाजपा की सदस्यता ले कर दक्षिणपंथी विचारधारा की रथ पर सवार हो गये। यहां तक की समाजवादी विचारधारा के बड़े चेहरे और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री (Former Prime minister)  चंद्रशेखर के पुत्र और बलिया से सांसद रह चुके नीरज शेखर भी भाजपा में शामिल हो गये। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी के इनके साथ के कई दिग्गज नेता जैसे अंबिका चौधरी और नारद राय जैसे दिग्गजों का भी अपनी पार्टी से मोहभंग हुआ। लेकिन रामगोविंद कभी अपनी विचारधारा से विमुख नहीं हुये।

वर्तमान समय में

आज भी प्रदेश में जब विपक्ष बहुत ही कमजोर पड़ा हुआ है तब भी वो विपक्ष की आवाज को उठाने वाले नेताओं की पहली पंक्ति में खड़े नजर आते हैं। बात चाहे सीएए एनआरसी (CAA-NRC) के मुद्दे पर अपनी राय रखनी हो या जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर बोलना हो। रामगोविंद के नाम को अगर दो भागों में बांटा जाये तो दो शब्द राम और गोविंद निकलकर सामने आते हैं। राम जैसे कर्म और वचन रखने वाले और कृष्ण की तरह राजनीति में माहिर रामगोविंद 2017 के ​उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर विधान सदन उस समय में पहुंचे जब प्रदेश में भाजपा की लहर ही नहीं सूनामी चली। आप उनके 2017 के विधानसभा के चुनाव में जीत से ही उनके राजनीतिक कद का अनुमान लगा सकते हैं।

 

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