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Jagannath Snana Yatra 2022 : एकांतवास में चले गए भगवान जगन्नाथ, जानें क्या है प्रभु के स्नान उत्सव की परंपरा?

सनातन धर्म में भगवान जगन्नाथ आस्था के प्रतीक है।  ओ​डिशा राज्य के पुरी में हर साल निकलने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में भक्तों का उत्साह चरम पर होता है।

By अनूप कुमार 
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 Jagannath Snana Yatra 2022 : सनातन धर्म में भगवान जगन्नाथ आस्था के प्रतीक है।  ओ​डिशा राज्य के पुरी में हर साल निकलने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में भक्तों का उत्साह चरम पर होता है। हिन्दू धर्म में चार धामों का बहुत महत्व है। इन्हीं में से एक धाम जगन्नाथ पुरी भारत के पूर्वी हिस्से में स्थित है। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा यानी 14 जून को जगन्नाथ पुरी में स्नान यात्रा मनाया गया है।

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जगन्नाथ रथ यात्रा 01 जुलाई 2022 को निकलने वाली है। रथ यात्रा से पहले ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ  स्नान और श्रृंगार के बाद 15 दिनों के लिए एकांतवास में चले गए हैं। अब भगवान जगन्नाथ 1 जुलाई को रथ यात्रा के लिए एकांतवास से बाहर आएंगे। इन 15 दिनों की अवधि में मंदिर में दर्शन बंद रहेंगे। आइए जानते हैं कि भगवान जगन्नाथ के एकांतवास का मर्म क्या है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को स्नान कराने की परंपरा मंदिर के स्थापना समय से चली आ रही है। इस दिन प्राचीन प्रतिमाओं को गर्भगृह से बाहर रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ  बीमार पड़ जाते हैं। इसलिए एकांत में उनका उपचार करने की परंपरा है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ को सादे भोजन का भोग लगाया जाता है। एकांतवास के दौरान प्रभु भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं।

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