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रिसर्च : डीआरडीओ की दवा 2-DG कोरोना वायरस के सभी वैरिएंट्स पर कारगर

कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। इसी बीच रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित कोरोना वायरस की दवा 2-डियोक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) पर हुए रिसर्च में बड़ा दावा किया जा रहा है।

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। इसी बीच रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित कोरोना वायरस की दवा 2-डियोक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) पर हुए रिसर्च में बड़ा दावा किया जा रहा है।

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नए अध्ययन में दावा किया गया है कि कोविड-19 के सभी प्रकारों के खिलाफ प्रभावी है और यहां तक कि यह दवा सार्स-सीओवी-2 वायरस के मल्टीप्लिकेशन को भी कम करती है। प्रारंभिक अध्ययन से यह भी पता चला है कि डीआरडीओ की एंटी-कोविड दवा कोशिकाओं में संक्रमण से प्रेरित साइटोपैथिक प्रभाव (सीपीई) को कम करती है और उन्हें खत्म होने से बचाती है।

ऑक्सीजन की मांग को 40 फीसदी तक कम करने की है क्षमता

बता दें, 2-DG दवा को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने डीआरडीओ के मुख्यालय में 17 मई को लॉन्च किया था। डीआरडीओ की कोविड रोधी दवा की पहली खेप जारी करते हुए केंद्र सरकार ने दावा किया कि इस दवा में मरीज के ठीक होने में लगने वाले औसत समय को ढाई दिन और ऑक्सीजन की मांग को 40 फीसदी तक कम करने की क्षमता है। इसे भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा एक जून को मध्यम से गंभीर कोरोना वायरस मरीजों के लिए सहायक चिकित्सा के रूप में आपातकालीन उपयोग के लिए प्राधिकरण प्रदान किया गया था।

15 जून को प्रकाशित इस नए अध्ययन की अभी तक समीक्षा नहीं की

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गौरतलब है कि 15 जून को प्रकाशित इस नए अध्ययन की अभी तक समीक्षा नहीं की गई है। इस अध्ययन रिपोर्ट को अनंत नारायण भट्ट, अभिषेक कुमार, योगेश राय, धिविया वेदगिरि और अन्य ने तैयार किया है। अध्ययन में डीआरडीओ की एंटी-कोविड दवा 2-डीजी का उपयोग बीमारी से पीड़ित रोगियों में कोविड -19 संक्रमण से प्रेरित मेटाबॉलिक रिप्रोग्रामिंग को लक्षित करने और बाधित करने के लिए किया गया था। परिणामों से पता चला कि कोविड-19 संक्रमण शरीर में ग्लूकोज और कोशिकाओं में ग्लाइकोलाइसिस के उच्च प्रवाह का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप फ्लोरोसेंट ग्लूकोज / 2-डीजी एनालॉग और 2-एनबीडीजी का चयनात्मक तरीके से उच्च संचय होता है।

900 रुपये प्रति पाउच होगी कीमत

सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि डीआरडीओ की एंटी-कोविड दवा की कीमत बाजार में 900 रुपये प्रति पाउच होगी, जिसे हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएल) द्वारा बेचा जाएगा। हालांकि, यह केंद्र और राज्य को रियायती कीमतों पर दवा उपलब्ध कराएगी।

सावधानी बरतने का सुझाव

बता दें कि चिकित्सक डीआरडीओ की कोविड-रोधी दवा 2-डीजी के उपयोग के संबंध में कुछ सावधानी बरतने का सुझाव देते हैं। अनियंत्रित मधुमेह, गंभीर हृदय संबंधी समस्याओं और यहां तक कि गुर्दे की दुर्बलता, एआरडीएस आदि जैसे रोगों से पीड़ित मरीजों पर इस एंटी-वायरल दवा के प्रभाव का अभी तक अध्ययन नहीं किया गया है। इसके अलावा, डीआरडीओ सलाह देता है कि 2-डीजी को मध्यम से गंभीर कोविड-19 मरीजों के उपचार में जितनी जल्दी हो सके, अधिकतम 10 दिनों की अवधि के लिए निर्धारित किया जाए।

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