लखनऊ। देश में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर नेशन क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने चौकाने वाले खुलासे किये हैं। एनसीआरबी के जारी डेटा के मुताबिक, देश में किसानों से ज्यादा बेरोजगार युवक खुदकुशी कर अपनी जान दे रहे हैं। वर्ष 2018 में करीब 35 बेरोजगार हर दिन आत्महत्या किए। इस तरह से करीब दो घंटे में तीन बेरोजगार अपनी जान दे रहे हैं। एनसीआरबी के जारी डेटा के मुताबिक, बेकारी और बेरोजगारी बड़ा संकट सामने आया है। इसमें बताया गया है कि किसानों से ज्यादा बेरोजगार युवकों ने सुसाइड किया है।
वर्ष 2018 में 12 हजार 936 लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर जान दी है। जबकि इसी अवधि में खेती-किसानी से जुड़े 10 हजार 349 लोगों ने सुसाइड किया है। बता दें कि, नेशन क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था है। एनसीआरबी देशभर में अपराध से जुड़े आकंड़े और ट्रेंड जारी करती है। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2018 में खुदकुशी के मामलों में 3.6 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है।
2018 में आत्महत्या के 1 लाख 34 हजार 516 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 में 1 लाख 29 हजार 887 लोगों ने खुदकुशी की थी। बता दें कि, वर्ष 2017 में बेरोजगारी से परेशान हेकर 12 हजार 241 लोगों ने सुसाइड किया था। हालांकि 2016 में बेरोजगारों के मुकाबले किसानों ने ज्यादा खुदकुशी की थी। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में 11 हजार 379 किसानों-खेतिहर मजदूरों ने अपनी जान दे दी थी, जबकि इसी अवधि में 11,173 बेरोजगारों ने खुदकुशी की थी। वहीं, वर्ष 2015 में नौकरी और कमाई के साधनों से दूर रहे 10912 लोगों ने खुदकुशी की, जबकि इसी अवधि में किसानों के आत्महत्या के 12602 मामले दर्ज किए गए थे।
केरल में सबसे ज्यादा सुसाइड
एनसीआरबी के जारी आंकड़ों पर गौर करें तो बेरोजगारी को लेकर खुदकुशी करने वाले 82 प्रतिशत पुरूष हैं। इसके साथ ही सबसे ज्यादा केरल (1585), तमिलनाडु (1579), महाराष्ट्र (1260), कर्नाटक (1094) और उत्तर प्रदेश (902) में दर्ज किए गए हैं।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसानों ने की सुसाइड
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2018 में 5763 किसानों और 4586 खेतिहर मजदूरों ने खुदकुशी की है। इनमें भी सबसे ज्यादा पुरूषों ने सुसाइड किया है। किसानों की खुदकुशी के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए। कुल खुदकुशी के 34.7 फीसदी मामले महाराष्ट्र में, 23.2 फीसदी कर्नाटक में, 8.8 फीसदी तेलंगाना में, 6.4 फीसदी आंध्र प्रदेश में और 6.3 फीसदी मध्य प्रदेश में दर्ज किए गये। वहीं, एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, मेघालय, गोवा, चंडीगढ़, दमन और दीव, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में साल 2018 के दौरान किसी किसान, खेतिहर मजदूर ने आत्महत्या नहीं की है।