नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून पर देश भर में बवाल जारी है। दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु समेत कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसक घटनाएं सामने आई हैं। इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने शनिवार को कहा कि देश में जो मंदी का माहौल है, उससे लोगों को ध्यान बांटने के लिए नागरिकता संशोधन कानून लाने की पहल की गई है।
एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि जब बीजेपी ने नागरिकता संशोधन बिल सदन में रखा था तो हमारी पार्टी ने इसका विरोध करते हुए सरकार को आगाह किया था कि इससे देश भर में सामाजिक और धार्मिक एकता पर संकट आ सकता है। जामिया मिलिया में पुलिस कार्रवाई पर शरद पवार ने कहा कि जैसे हमने लोगों से संयम रखने की अपील की थी उसी तरह पुलिस को भी संयम रखना चाहिए।
नागरिकता संशोधन कानून पर शरद पवार ने कहा कि लोगों को एक साल का समय देना चाहिए। इस सरकार को उसके बाद अपनी राय देनी चाहिए। एनआरसी और सीएए पर सरकार को बिल लाने से पहले सदन में सभी राजनीतिक पार्टियों से परार्मश करना चाहिए था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मुखिया शरद पवार ने राजग सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) देश को त्रस्त कर रहे गंभीर मुद्दों से ध्यान हटाने की चाल है।
शरद पवार ने पूछा कि संशोधित कानून के तहत केवल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के शरणार्थियों को ही नागरिकता क्यों दी जाएगी और श्रीलंका के तमिलों को क्यों नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि बिहार समेत राजग के शासन वाले आठ राज्यों ने कानून को लागू करने से इनकार कर दिया है, महाराष्ट्र का भी रुख यही रहना चाहिए।
उन्होंने पूछा कि सीएए भले ही केंद्रीय कानून हो लेकिन इसको लागू राज्यों को करना है। लेकिन क्या राज्यों के पास ऐसा करने के लिए संसाधन एवं तंत्र है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने एल्गार परिषद मामले में कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुणे पुलिस की कार्रवाई की भी एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में एसआईटी जांच कराने की मांग की।